उत्तरकाशी – सूबे की सियासत मे भूचाल आया हुआ है। विधानसभा की राजनीति करने वालों की निगाहे उत्तरकाशी की ओर मुड़ गई है। दरअसल जिला पंचायत अध्यक्षा जशोदा राणा और जिला पंचायत सदस्य दीपक बिजल्वाण के बीच चल रही कशमकश अब खबरों की सुर्खियां बन गई है।
जिला पंचायत सदस्य दीपक बिजल्वाण ने जिला पंचायत अध्यक्ष जशोदा राणा पर मानहानि का दावा करने का ऐलान किया है। साथ ही अध्यक्षा पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए दावा किया है कि अगर उनके आरोप गलत साबित हुए तो वो राजनीति से सन्यास ले लेंगे।
इतना ही नहीं उत्तरकाशी की पंचायत राजनीति में अब जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी ही खतरे मे पड़ती दिखाई दे रही है क्योंकि जिला पंचायत मे अंकों का समीकरण बिगड़ रहा है। जशोदा राणा के विपक्षियों की तादाद 9 से हुई 14 हो गई है।
गौरतलब है कि एक दिन पूर्व उत्तरकाशी के जिला पंचायत अध्यक्ष जसोदा राणा द्वारा पत्रकार वार्ता मे अपर मुख्य अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार देख रहे सीडीओ आईएएस विनीत कुमार के साथ सदस्य दीपक कुमार पर ब्लैक मेलिंग का आरोप लगाया था जबकि उसके जबाबी हमले मे जिला पंचायत सदस्य दीपक बिजलवाण ने भी पत्रकार वार्ता कर अध्यक्षा के खिलाफ अपनी आरोपों की तलवार पर शान चढ़ा दी है।
दरअसल अध्यक्षा ने एक ही दिन मे 660 एस्टिमेट तैयार कर एक करोड़ 94 लाख 67 हजार का अग्रिम चेक सिंचाई विभाग को देने के लिए दबाव बनाकर ब्लैक मेलिंग करने का आरोप आईएएस अधिकारी और जिला पंचायत सदस्य पर लगाया था।
उधर दीपक ने 25 सदस्यों वाली उत्तरकाशी जिला पंचायत में अध्यक्षा जशोदा राणा के विरोधियों की तादाद बढ़ाते हुए 14 सदस्यों के साथ जवाबी फायर करते हुए कहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष ने जब भी कोई गड़बड़ी की उन्होने विरोध दर्ज कराया है और उनका ऐतराज बोर्ड की कार्यवाही मे आज भी मौजूद है जबकि इसे अध्यक्षा दबाव और ब्लैक मेलिंग बता रही है ।
उन्होने चेतावनी दी कि अध्यक्षा के पास उनके द्वारा लगाए आज्ञे आरोपों को सिद्ध करने के लिए कोई भी प्रमाण है तो वे कानूनी कार्यवाही झेलने के लिए तैयार हैं इतना ही नहीं वे राजनीति से भी सन्यास भी ले लेंगे।
प्रेस वार्ता मे दीपक बिजलवाण ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए अध्यक्ष जिला पंचायत की कार्य प्रणाली पर कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होने बोर्ड मे एक करोड़ 15 लाख की अतिरिक्त धनराशि से अध्यक्ष के क्षेत्र गड़ोलो मे गेस्ट हाउस और मीटिंग हाल निर्माण बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए और बिना बोर्ड की सहमति से कराये जाने पर सवाल उठाए हैं।
दीपक ने आरोप लगाया कि राज्य वित्त से मिले 12 करोड़ की धन राशि मे से महज 8 करोड़ को ही दिखाया गया जबकि बचे हुए 4 करोड़ बिना बोर्ड की सहमति के खर्च कर दिये गए जिसके खिलाफ उन्होने शिकायत भी की थी।
इसके अलावा बिना शासन से अनुमोदन के कर्मचारियों को नौकरी पर ही नहीं रखा गया बल्कि उन्हे पदोन्नति भी दी गयी और विवादित व्यक्तियों को भी स्थायी नौकरी दे गयी और सवाल उठाने पर खुद कर्मचारियों से मिलकर अध्यक्षा द्वारा हड़ताल कारवाई गयी है।
अध्यक्षा से नाराज जिला पंचायत सदस्य प्रमुख सचिव पंचायती राज विभाग उत्तराखंड सरकार को 22 अगस्त को भेजे गए भेजे गए वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता पर कार्यवाही का इंतजार कर रहा है। जिसमे दैनिक / उपनल / संविदा पर बिना शासन की अनुमति के नियुक्ति देने , यमनोत्री यात्रा व्यवस्था- कुली एजेंसी / गंगनानी हुट्स / माघ मेला 2015- 2016 -2017 मे की गयी अनियमितता की जांच प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट से कराने , जिला पंचायत की परिसंपत्तियों पर विभाग के ही कर्मचारियों द्वारा अवैध कब्जा और पूर्व अध्यक्ष द्वारा निरस्त की गयी कंप्यूटर आॅपरेटर के संविदा के पद को द्वितीय श्रेणी के लिपिक पद पर की गयी अनियमितता की जांच शामिल है। होगा क्या ये वक्त ही बताएगा फिलहाल उत्तराकाशी में जिला पंचायत की राजनीति पर सबकी निगाहें हैं।