हल्द्वानी- सरकारें बेशक बदल रही हों लेकिन सरकारी महकमों के रवएे में कोई बदलाव नहीं आया। कामकाज में सुस्ती बरकरार है। इसका प्रमाण देखना हो तो हल्द्वानी में 4 करोड़ की लागत से बने 100 बिस्तरों वाले नए नवेले महिला अस्पताल की शानदार इमारत को देखकर लगाया जा सकता है।
गजब का आलम है महिला अस्पताल की इमारत तैयार है लेकिन अब तक इमारत को महिला अस्पताल के हवाले नहीं किया गया। जिसका खामियाजा मरीजों और तैनात मुलाजिमों को भुगतना पड़ रहा है। दरअसल हल्द्वानी में आबादी बढ़ने और कुमांऊ के सबसे बड़े महिला अस्पताल होने के नाते यहां मरीजों का कुछ ज्यादा ही आमद रहती है। ऐसे में पुरानी इमारत मरीजों की तादाद को देखते हुए कम पड़ने लगी है।
बताया जाता है कि इस अस्पताल में सालाना पांच हजार से ज्यादा डिलीवरी के मामले आते हैं। जिसके चलते हमेशा जच्चा-बच्चा समेत दूसरे मरीजों और अस्पताल के मुलाजिमों को जगह की किल्लत का सामना करना पड़ता है। पुरानी इमारत मे मरीजों का कभी इतना ज्यादा भीड़ हो जाती है कि मरीजों को सरकारी बेड नहीं मिल पाते मजबूरी में उन्हें निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है। बावजूद इसके नई इमारत महकमे के हवाले नही की गई है।
मौजूदा वक्त में हल्द्वानी के महिला अस्पताल में महज जगह की ही किल्लत नहीं है बल्कि दूसरी और भी किल्लत हैं। इतनी भारी तादाद में मरीजों का दबाव झेलने वाले इस महिला अस्पताल में महज 5 महिला डाक्टर और 2 बाल चिकित्सक ही तैनात हैं। नर्सो की भी भारी कमी होने के साथ-साथ कोई स्थाई रेडियोलाजिस्ट भी नही है।
वहीं अस्पताल की सीएमएस डा. भागीरथी जोशी की माने तो अस्पताल में संसाधनो की कमी को पूरा करने के लिए मुख्यालय से मांग की गई है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जब इमारत तैयार है तो उसे जनता को समर्पित क्यों नहीं किया जा रहा है और जिस महकमे को खुद मुख्यमंत्री देख रहे हों उस स्वास्थ्य महकमें की पूरे सूबे में दुर्दशा क्यों है।