देहरादून- नए मुख्य सचिव उत्पल कुमार के आने और पूर्व मुख्य सचिव एस.रामास्वामी के जाने के बीच सूबे में चर्चा है कि आखिर टीएसआर सरकार नौकरशाह आर. राजेश कुमार के खिलाफ कोई एक्शन क्योंं नहीं ले रही है। दरअसल माना जा रहा है कि पीएम मोदी के केदार दौरे में जो अव्यवस्था देखने को मिली उसकी सबसे अहम कड़ी नागरिक उड्डयन महकमें के प्रभारी सचिव आर.राजेश कुमार हैं।
कहा जा रहा है कि अगर आर.राजेश कुमार अपने फर्ज का सलीके निर्वहन करते और अपनी मित्र मंडली में शामिल भारत एविशन कंपनी पर नरमी न बरतते तो पीएम के केदार दौरे में सारे इंतजामात चाक चौबंद रहते। सारे अधिकारी वक्त से केदारधाम पहुंचते और नियत वक्त पर देहरादून आते । लेकिन नागरिक उड्डयन के प्रभारी सचिव आर. राजेश कुमार ने कब गुड-गोबर कर दिया। जिसका अंजाम ये हुआ कि दौरे पर तैनात कार्डियोलॉजिस्ट को पैदल केदारघाटी में सफर करना पड़ता और सरकार के दामन पर बुजुर्ग फॉर्मासिस्ट थपलियाल जी की असमय मौत का दाग लगा। दरअसल स्व. थपलियाल जी की सेहत और उम्र ऐसी नहीं थी कि वे 14 किलोमीटर का उतरन भरा सफर तय कर पाते। बावजूद इसके केदारघाटी की ठंड में उन्हे उतरना पड़ा और अपनी जान गंवानी पड़ी।
ऐसा नहीं कि आर.राजेश कुमार की इस बड़ी लापरवाही का खामियाजा सिर्फ एक डाक्टर और फार्मसिस्ट ने भुगता हो बल्कि पीएम के दौरे के लिए केदारधाम पहुंचे कई विधायक, मंत्रियों औ अधिकारियों की भी जमकर फजीहत हुई। खबर है कि सीएम साहब ने पीएम के केदार दौरे में दिखी अव्यवस्थाओं को बेहद संजीदा तरीके से लिया।
माना जा रहा है कि केदारघाटी में बिखरी अव्यवस्थाओँ ने ही राज्य के पूर्व मुख्यसचिव एस रामास्वामी की विदाई की पटकथा लिख दी थी,क्योंकि एस.रामास्वामी न केवल सूबे के मुख्य सचिव थे बल्कि नागिरक उड्डयन विभाग की जिम्मेदारी उठाए हुए थे। जबकि आर.राजेश कुमार प्रभारी सचिव के पद पर तैनात
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि अगर वाकई में केदार दौरे में हुई अव्यवस्था की गाज पूर्व मुख्य सचिव एस.रामास्वामी के गरिमामय पद पर गिरी है तो उनके उस नायब आर.राजेश कुमार पर सरकार ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया जबकि नागरिक उड्डयन के प्रभारी सचिव के पद पर आर.राजेश कुमार तैनात थे।