नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू भी फर्जी विज्ञापनों का शिकार हो चुके हैं। शुक्रवार को उन्होंने राज्यसभा में अपना अनुभव साझा किया।1सदन में जब समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने टीवी चैनलों पर दिखाए जा रहे फर्जी, झूठे और भ्रामक विज्ञापनों का मामला उठाया तो सभापति वेंकैया नायडू भी खुद को आपबीती साझा करने से नहीं रोक पाए।
वैंकैया नायडू ने सुनाई आपबीती
वेंकैया ने कहा, ‘उपराष्ट्रपति बनने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने इसी तरह की दवाई बेचने वाला एक विज्ञापन देखा था, जिसमें दावा किया जा रहा था कि उनकी टैबलेट खाने से एक निश्चित समय अवधि में एक निश्चित मात्र में वजन घट जाएगा।’ वेंकैया ने याद कर कहा कि इसके लिए उन्होंने करीब एक हजार रुपये चुकाए थे। पैसे चुकाने के बावजूद टैबलेट नहीं आईं, बल्कि उसकी जगह एक मेल आया जिसमें कहा गया था कि चमत्कारिक रूप से वजन घटाने के लिए आपको दूसरी टैबलेट लेनी चाहिए, जिसकी कीमत एक हजार रुपये है। यह ऑरिजिनल टैबलेट आपको तभी भेजी जाएंगी जब आप इसके भी पैसे चुका देंगे।
केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान को बताया घटना के बारे में
वेंकैया ने बताया कि जब उन्हें यह मेल मिला तो उन्हें संदेह हुआ। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान को इस घटना के बारे में बताया। पासवान ने उस पर तुरंत जांच कमेटी बैठाई। जांच में पता चला कि जिस कंपनी का विज्ञापन देखकर वह जाल में फंसे थे,
वह नई दिल्ली या देश के किसी अन्य कोने में स्थापित नहीं है बल्कि वह कंपनी अमेरिका से संचालित होती है।
वेंकैया ने कहा कि केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री को चाहिए कि वह इस तरह के झूठे और भ्रामक विज्ञापनों के मामले में कड़ा कानून बनाएं, ताकि कोई भी भोले-भाले ग्राहकों को ठगी का शिकार न बना सके।