नौगांव : जब किसी योजना का लाभ लोगों को उपलब्ध नहीं कराना होता तो सरकारें और विभाग ढिंढोरा क्यों पीटते हैं. आए दिन उत्तराखंड में 108 की लापरवाही सामने आ रही है. जिससे आस लगाए बैठे गांव के लोग अपनी ही जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं. वो 108 को फोन करते हैं औऱ यही आस लगाए बैठे रहते हैं कि 108 आएगी लेकिन उनके हाथ निराशा ही लगती है. शर्मनाक बात तब हो जाती है जब स्वास्थ विभाग खुद राज्य के सीएम के पास हो.
सुचना देने के तीन घंटे बाद तक भी नहीं आई 108
जी हां उत्तराकाशी नौगांव में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देखकर हर किसी का दिल पसीज जाए लेकिन शायद 108 का नहीं. पहाड़ों में 108 आपात सेवा दम तोड़ने लगी है। हालत यह हैं कि सूचना देने के तीन घंटे बाद भी 108 सेवा ब्लॉक मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर नहीं पहुंची। इस दौरान प्रसव पीड़िता दर्द से तड़पती रही। जिसके बाद परिजनों ने किसी तरह एक प्राइवेट वाहन बुकिंग कर महिला को महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगांव में पहुंचाया.
कुछ देर होती तो जच्चा-बच्चा की स्थिति खराब हो सकती थी-डॉक्टर
वहीं नौगांव में तैनात डॉक्टर ने बताया कि अगर गर्भवती को लाने में कुछ देर होती तो जच्चा-बच्चा की स्थिति खराब हो सकती थी। वहीं, सीएमओ डॉ. विनोद कुमार नौटियाल ने बताया कि 108 की लापरवाही के मामले में कार्रवाई करने के लिए शासन को पत्र लिखा जा रहा है।
गांव से सड़क तक गर्भवती को पहुंचाने में दो घंटे का समय लगा
ब्लाक मुख्यालय नौगांव से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कडाऊं गांव में सोमवार की रात को रंगबाला (24) पत्नी अरविद कुमार को प्रसव पीड़ा हुई। ग्रामीणों ने गर्भवती को कुर्सी पर बिठाया और पांच किलोमीटर पैदल चलकर पिस्वां तक सड़क पर लाए। गांव से मंगलवार सुबह चार बजे चलने के दौरान ग्रामीणों ने 108 को फोन किया था। गांव से सड़क तक गर्भवती को पहुंचाने में दो घंटे का समय लगा। सड़क पर ग्रामीणों ने एक घंटे 108 सेवा के आने का इंतजार किया। लेकिन, उसके बाद भी 108 सेवा नहीं पहुंची। ग्रामीणों ने 108 सेवा के लिए बड़कोट और पुरोला फोन किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
इसके बाद ग्रामीणों ने नौगांव से निजी वाहन मंगवाया तथा उस वाहन से गर्भवती को सामुदायिक चिकित्सालय में भर्ती कराया। औऱ जोखिम उठाकर गर्भवती की डिलीवरी की.
सीएम के पास है स्वास्थ विभाग
गौर हो की इससे पहले की 108 की लापरवाही के कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं लेकिन सरकार इस पर गंभीर नहीं है. शर्मनाक बात तब है जब सीएम के पास खुद स्वास्थ विभाग है.