उत्तराकशी : राज्य में सड़कों औऱ बाकी व्यवस्थाओं का क्या हाल है, अगर आप ये खबर पढ़ेंगे तो जरुर पहले और सूबे की सरकार को कोसेंगे. एक तरफ सरकार लोगों से पलायन न करने की बात करती है लेकिन लोग करें भी तो क्या. अब ये खबर है पढ़ लीजिए गर्भवती महिला दर्द से कराहती रही औऱ उसे 6 किमी. पैदल चलकर जाना पड़ा. शायद अगर शहर होता तो ऐसे हालात नहीं होते. इसलिए लोग मजबूर हैं पलायन को.
जी हां गुरुवार को उत्तराकशी में नौगांव ब्लाक के रस्टाड़ी कंडाऊ गांव से एक गर्भवती को प्रसव पीड़ा झेलते हुए छह किमी का जोखिम भरा पैदल रास्ता तय कर अस्पताल पहुंचने के लिए मजबूर होना पड़ा। बता दें कि सीमांत जनपद में अधिकतर मोटर मार्ग और गांवों के पैदल रास्ते बदहाल पड़े हैं। औऱ बरसात के दौरान तो स्थिति और भी कठिन हो जाती है. अलग-थलग पड़े गांवों में कैद गर्भवती महिलाओं और अजन्मे शिशुओं की जान को खतरा पैदा हो गया है।
कभी स्वास्थय विभाग तो कभी सरकार की नाकामी
आपको बता दें ये पहला मामला नहीं है कभी स्वास्थ विभाग की तो कभी सरकार की नाकामी के कारण गर्भवती महिलाओं को ऐसा दर्द आए दिन सहना पड़ा है.
सुरक्षित प्रसव के कोई इंतजाम धरातल पर नहीं हुए हैं
स्वास्थ्य विभाग ने मानसून से पहले ही दुर्गम गांवों में सर्वे कराकर गर्भवती महिलाओं को चिह्नित तो किया लेकिन इनके सुरक्षित प्रसव के कोई इंतजाम धरातल पर नहीं हुए हैं। गांव से पहुंची महिला का अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराया गया। मां और बेटी दोनों स्वस्थ हैं। आपको बता दे कि जिले में तीन दिन में यह दूसरा मामला है जब गर्भवती को भारी समस्या का सामना करना पड़ा है।
शासन द्वारा पालकी मुहैया करायी गई
बताया जा रहा है कि दूरस्थ गांवों से गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए शासन द्वारा पालकी मुहैया करायी गई हैं। गांव में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुहैया कराई गई पालकी तो थी, पर गांव का पैदल रास्ता इस हाल में नहीं था कि गर्भवती महिला को पालकी पर सड़क तक लाया जा सके। ऐसे में इस महिला को प्रसव पीड़ा से कराहते हुए छह किमी की दुर्गम दूरी पैदल ही तय करनी पड़ी।
हालांकि इसके बाद सड़क पर 108 आपात एंबुलेंस के पहुंचने पर उसे नौगांव अस्पताल लाया गया, जहां सुरक्षित प्रसव होने पर परिजनों ने राहत की सांस ली। जिले में अब भी करीब डेढ़ सौ से अधिक गर्भवती महिलाएं दूरस्थ गांवों में कैद हैं। ऐसे में उनकी और गर्भ में पल रहे अजन्मे शिशुओं की जान पर मंडरा रहा खतरा टला नहीं है।