रामनगर- रामनगर के गर्जिया मंदिर में बैठे कपल को लेकर हुए रामनगर के हंगामे और दिलेर सब इंस्पेक्टर गगनदीप को कौन नहीं जानता. हर तरफ, हर किसी की जुबां पर गगनदीप का नाम छाया. नैनीताल जिले के रामगढ़ में एक मंदिर के पास तैनात जाबांज पुलिस ऑफिसर ने अपने ताकतवर बाजुओ में डालकर मुस्लिम युवक उग्र भीड़ से बचाते हुए सुरक्षित निकाल दिया था. जिसके बाद हर कोई उसके साहस की तारीफ कर रहा है।
गगनदीप के पास आ रहे कई कॉल औऱ फेसबुक में फ्रेंड रिक्वेस्ट
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो दूसरे समुदाय के युवक को कट्टरवादी लोगों से बचाकर हीरो बना सब-इंस्पेक्टर गगनदीप सिंह के पास कई कॉल आ रहे हैं. जिसके बाद उन्होंने अपना मोबाइल बंद कर दिया है और फेसबुक अकाउंट भी डिलीट कर दिया है।
फेसबुक पर भी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने वालों की झड़ी लगी
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में गगनदीप ने कहा कि मुझे नहीं पता लोग इतना आश्चर्य क्यों कर रहे हैं, जबकि मैंने तो मेरी ड्यूटी निभाई है। गगनदीप ने कहा कि इस घटना के बाद उन्हें कई कॉल आ रहे हैं और फेसबुक पर भी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने वालों की झड़ी लग गई है, जिसके बाद उन्होंने फोन ही बंद कर दिया है और फेसबुक अकाउंट भी डिलीट कर दिया है।
मैं उसे छोड़ नहीं सकता था क्योंकि अगर मैं ऐसा करता, तो मैं खुद को असफल कर देता
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सोशल मीडिया पर सेलेब्रिटी बने गगनदीप का इंटरव्यू में कहना है कि अगर एक पुलिसकर्मी किसी की जिंदगी बचाता है तो इसमें कौनसी बहादूरी है? मैं तो मेरी ड्यूटी कर रहा था। उन्होंने कहा कि मैंने उस लड़के की आंखों में लाचारी देखी। वह पूरी तरह से कांप रहा था। उसने मुझे कसकर गले लगा लिया था। उसको मुझ पर ही आस थी। मैं उसे छोड़ नहीं सकता था क्योंकि अगर मैं ऐसा करता, तो मैं खुद अपने आप को असफल कर देता।
मां ने सिखाया था कि सरदार का काम ही है मदद करना, वह कभी पिछे नहीं हटते हैं
इंटरव्यू से पता चला कि गगनदीप सिर्फ दो साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था और उनकी मां उन्हें बड़ा किया है। इंटरव्यू में गगनदीप बताते हैं कि जब वे बच्चे थे, तब उनकी मां उन्हें सिखाया था कि सरदार का काम ही है मदद करना, सरदार कभी पिछे नहीं हटते हैं। गगनदीप आगे कहते हैं कि मेरा धर्म मुझे निस्वार्थ मदद करना सिखाता है।