देहरादून- यूरोप और कई अमेरिकन मुल्कों की तरह उत्तराखंड में भी पक्षी राजस्व और रोजगार का बड़ा जरिया बनेंगे। दरअसल रंग-बिरंगे परिंदों की खूबसूरत दुनिया उत्तराखंड में आबाद है। जिसका दीदार करने दूर-दराज से सैलानी आते हैं। ऐसे में जंगलात महकमा पक्षी विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड को ‘बर्ड डेस्टिनेशन’ के रूप में विकसित करने जा रहा है।
विभाग की इस पहल का सबसे शानदार पहलू ये है कि परिंदों की उत्तराखंडी दुनिया को केंद्र सरकार के स्किल इंडिया कार्यक्रम से भी जोड़ा जाएगा। ताकि पक्षियों की दुनिया सूबे के बेरोजगारों के लिए रोजगार का भी साधन बने। इसके लिए वन महकमे ने कवायद प्रारंभ कर दी है। इस कड़ी में बर्ड वाचिंग के लिहाज से पहले से विकसित स्थलों से इतर नए स्थल चिह्नित करने के निर्देश दिए गए हैं।
देशभर में पाई जाने वाली पक्षियों की 1300 प्रजातियों में से 697 उत्तराखंड में चिह्नित हैं। फिर चाहे वह हरकी दून क्षेत्र हो या फिर गंगा-यमुना की घाटियां अथवा कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत दूसरे संरक्षित क्षेत्र और वन प्रभाग, सभी पर परिंदों फिदा हैं।
देहरादून, पवलगढ़, नैनीताल, देवलसारी, बिनसर, आसन, लैंसडौन जैसे क्षेत्रों में ऐसे रंग-बिरंगे पक्षियों की खूबसूरती को निहारने देश-विदेश से लोग आते हैं। हालांकि सूबे में अभी तक पक्षियों की दुनिया को इस नजरिए से नहीं देखा गया था। लिहाजा बर्ड वाचिंग के क्षेत्र में रोजगार के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई। ऐसे मे सैलानियों की तादाद काफी कम दर्ज की गई है। हालांकि अब वन विभाग ने विदेशों की तर्ज पर बर्ड वाचिंग को यहां भी रोजगार से जोड़ने की दिशा में गंभीरता से कदम उठाने की ठानी है।
प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज के मुताबिक अमेरिका व यूरोप में बर्ड वाचिंग का कई मिलियन का कारोबार है। इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड में काफी कुछ किया जा सकता है। इसीलिए विभाग ने उत्तराखंड को बर्ड डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे पक्षी संरक्षण में मदद मिलने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
पीसीसीएफ के मुताबिक योजना का प्रारंभिक खाका खींचा जा चुका है। पहले से विकसित बर्ड वाचिंग स्थलों से इतर नए डेस्टिनेशन भी विकसित किए जाएंगे। स्किल इंडिया से जोड़कर इन सभी डेस्टिनेशन के आसपास के गांवों के लोगों को गाइड, होम स्टे आदि से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। सैलानी गांवों में रुकेंगे तो इस दौरान उन्हें यहां की सांस्कृतिक विरासत से भी रूबरू कराया जाएगा। यही नहीं, राज्य की पक्षी विविधता को लेकर देश-विदेश में प्रचार तेज किया जाएगा, ताकि पक्षी प्रेमी यहां आएं। साथ ही बर्ड फेस्टिवल भी किए जाएंगे।