हल्द्वानी- उत्तराखंड को औषधि प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन यहां के औषधि ,जड़ी बूटी और फल फूलों का महत्वता कितना है ये अब बड़े स्तर पर देखने को मिल रहा हैl उत्तराखंड का औषधीय गुणों से भरपूर पहाड़ के जंगली फलों ने अब हर किसी को अपना दीवाना बना दिया हैl
स्वाद में ही नहीं बल्कि सेहत की दृष्टि से भी भरपूर हैं उत्तराखंडी फल
जंगली फल न केवल स्वाद में बल्कि सेहत की दृष्टि से भी भरपूर अहमियत रखते हैंl काफल, बेडू, तिमला, मेलू, अमेस, दाड़िम, किल्मौड़ा, खैणु, तूंग, खड़ीक, भीमल , खुमानी, हिंसर, आमड़ा, कीमू, पुलम, समेत कई जंगली फलों की ऐसी ज्यादा प्रजातियां हैं, जो पहाड़ को प्राकृतिक रूप में संपन्नता प्रदान करती हैं।
जंगल में रहने वाले चरवाहे इस फल को खाकर अपनी भूख मिटाया करते थे
इन जंगली फलों में विटामिन्स और एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैंl किसी जमाने में जंगली फलों का कोई महत्व नहीं हुआ करता था और जंगल में रहने वाले चरवाहे इस फल को खाकर अपनी भूख मिटाया करते थे. साथ ही जानवर भी इस फल को बड़ी चाव से खाते थे. लेकिन ये पहाड़ी जंगली फल आज धीरे-धीरे बागवानी का रूप ले रहा है और किसान इसको अपने रोजगार का जरिया भी बना रहे है.
जंगली फलों की मार्केटिंग पर विशेष जोर
केंद्र और राज्य सरकार अब इन जंगली फलों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाओं का संचालन कर रही हैl वहीं कृषि एवम भूमि संरक्षण अधिकारी का कहना है कि इन जंगली फलों का बागवानी के माध्यम से ज्यादा मात्रा में उत्पादन किया जा रहा है और इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा हैl इन जंगली फलों की मार्केटिंग पर विशेष जोर दिया जा रहा हैl ॉ
सरकार संरक्षण करने का जिम्मा उठाये तो लोगों को मिल सकता है बेहतर रोजगार
वहीं काश्तकारों का कहना है कि पहाड़ के इन फलों को सरकार संरक्षण करने का जिम्मा उठाये तो ये स्थानीय लोगों के रोजगार का बड़ा जरिया बन सकता है और इससे पहाड़ों से हो रहे पलायन पर भी अंकुश लग सकता हैl पहाड़ के इन फलों की कीमत अन्य फलों की तुलना में अधिक होती है जिससे कि किसान ज्यादा इससे आमदनी कर सकता हैl