देहरादून(मनीष डंगवाल)- उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल को 11 दिन पूरे हो गए है,लेकिन डबल इंजन की भाजपा सरकार न तो कर्मचारियों की मांगों के प्रति गंभीर दिख रही है और न ही दूनवासियों की चिंता सरकार को है, ऐसा लगता की सरकार इस मामले को लेकर ज्यादा संजीदा नहीं है।
गंदगी का लगा है शहर में अम्बार
नगर निगम के 600 से ज्यादा सफाई कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से देहारादून की सड़के कूडे के ढेरों में तब्दील होती जा रही है, क्योंकि कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर नगर निगम के कार्यालय में अपनी मांगों को मनवाने के लिए धरने पर बैठें हैं। जिस वजह से देहरादून की सूरत इन दिनों बिगडी-बिगडी नजर आ रही है। सड़क किनारे जहां नजर पड़े वहीं कूडे के ढेर नजर आ रहा है।
बिमारी का बढ़ रहा है खतरा
शहर के चारों तरफ फैली गंदगी से आम जनता का जीना मुश्किल हो गया है। वहीं कूडे के ढेरों से जो बदबू फैल रही है उसे बिमारी फैलने का भी खतरा मंडरा रहा रहा है, लेकिन रोजमर्रा के कामों के लिए जो लोग घर से बाहर निकल रहे हैं वह कूड़े के ढेर के पास से नाक बंद कर निकलने को मजबूर हैं औऱ साथ ही कूड़े को सड़क पर ही फैकने को मजबूर हैं.
बातचीत के रास्ते बंद तो फिर कैसे बनेगी बात
सफाई कर्मचारियों का जहां साफ कहना कि जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मानती है तब तक वह काम पर नहीं लौटेंगे, चाहे कुछ भी हो जाएं. मतलब साफ है कि कर्मचारियों की नजरें सरकार पर लगी है कि सरकार जब तक उनकी मांगे नहीं मानती है तब तक वह हड़ताल खत्म नहीं करेंगे. वहीं सरकार है कि सफाई कर्मचारियों से बात करने को तैयार ही नहीं है। क्योंकि समाधान तो सरकार को ही निकालना और बिना समाधान के समस्या का हल निकलने वाला नहीं है।
पहले कर्मचारी हडताल खत्म करें, फिर सरकार सफाईकर्मियों की मांगों को पूरा करेंगी
वहीं उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता और शहरी विकास मंत्री का साफ कहना कि पहले कर्मचारी हडताल खत्म करें और फिर सरकार सफाई कर्मियों की मांगों को पूरा करेंगी। लेकिन सफाई कर्मचारी सरकार से सवाल कर रहे है कि जब सरकार उनकी मांगे हडताल खत्म करने के बाद मानने को तैयार है तो हड़ताल खत्म करने से पहले सरकार उनकी मांगों को पूरा क्यों नहीं कर देती।
ऐसा में ये कहना गलत नहीं कि डबल इंजन की सरकार तानाशाही रवैया सफाई कर्मचारियों के साथ अपना रही है कि पहले सफाई कर्मी हडताल खत्म करें फिर सरकार मांगे मानेगी और सुनेगी। लेकिन सवाल ये उठता है कि पूरे दूनवासियों को हड़ताल की वजह से परेशानी झेलनी पड रही है और सरकार कर्मचारियों से वार्ता के लिए भी तैयार नहीं है। क्या सरकार को जनता की जरा भी फिक्र नहीं जिसने सरकार को चुना उन्ही को झेलना पड़ रहा है.