देहरादून(हिमांशु चौहान)- मेहनत का रास्ता मुश्किल है लेकिन मेहनत ही हर मुश्किल का हल है. 25 वर्षीय अन्जना की कहानी कुछ ऐसा ही बयां करती है। कुछ साल पहले श्रीनगर की अन्जना के पिता इसी चाय की दुकान को चलाते थे लेकिन 7 साल पहले उनकी मौत से अन्जना के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ आ गिरा. जिसके बाद परिवार की जिम्मेदारी को इसी बेटी ने लिया.
पापा के काम को ही बनाया रोजगार का साधन
अन्जना यूं तो ग्रेजुएट है लेकिन नौकरी के लिए दूसरे शहर का रूख करने की बजाय उसने अपने पापा के काम को ही रोजगार का साधन बनाया।काम कोई छोटा बड़ा नहीं,बल्कि उसे देखने वाले का नजरिया ही छोटा-बडा होता है. यही अन्जना के जीवन की सीख है.
सुबह-सुबह कोचिंग क्लास भी जाती है पढ़ने
अंजना की दिनचर्या एक आम लड़की से हटकर है. वह हर रोज घर के छोटे-बड़े काम निपटाकर, सुबह-सुबह कोचिंग क्लास पढ़ती है और फिर अपनी चाय की दुकान खोलकर पैसे कमाने की जुगत मे लग जाती है।
पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की
अंजना रावत ने गढ़वाल विश्वाविद्यालय से ही बी.ए करने के बाद मास्टर आॅफ सोशल वर्क में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. लेकिन परिस्थितियों ने उसका साथ नहीं दिया तो अन्जना नें स्वारोजगार की सीढ़ी चढ़कर परिवार के जीवन को पटरी पर लाया। यही वजह है कि लोग उसकी तारीफ करते नहीं थकते हैं.
अन्जना ने कड़ी मेहनत व लगन से ये साबित कर दिखाया कि बेटी बेटों से कम नहीं होती. यही वजह है कि अन्जना हजारों लडकियों के लिए एक प्ररेणाश्रोत है.