डेस्क- योग की ताकत का लोहा अब पश्चिमी मुल्कों ने भी मान लिया है। यूनेस्को ने योग को विश्व धरोहर स्वीकार कर लिया है। योग को विश्व धरोहर के रूप में संयुक्त राज्य संघ द्वारा मान्यता दिये जाने से योग विज्ञान की जानकारी भारतीय संस्कृति से अछूते अनेक देशों में तो होगी ही, इससे योग विज्ञान पर शोध आदि कार्यों में भी गति आयेगी।यूनेस्को अधिकारिक रूप से योग को बढ़ावा देने की योजना बनायेगा। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने यूनेस्को के स्थायी भारतीय प्रतिनिधि मंडल के साथ मिलकर इस सफलता को हासिल किया। भारतीय प्रतिनिध रूचिरा कंबोज ने इसका समर्थन करने वाले सभी सदस्य देशों का धन्यवाद किया है।
दरअसल यूनेस्को ने योग को विश्वधरोहर बनाने के लिए भारत के एक विशेष प्रतिनिधि मण्डल को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि वे योग को अपने वैश्विक स्वरूप में संयुक्त राज्य संघ की अन्तर्राष्ट्रय की बैठक में रखें। गौरतलब है कि संयुक्त राज्य संघ की यह ग्यारहवीं विशेष बैठक इथोपिया की राजधानी अदिस अबाबा में २८ नवम्बर से २ दिसम्बर के बीचआयोजित की गई है। आज बैठक का आखिरी दिन है। भारत सरकर के आयुष मंत्रालय की ओर से बैठक में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने हिस्सा लिया। माना जा रहा है कि योग के विश्वधरोहर बन जाने के बाद भारत में योग सीखने के लिए और ज्यादा विदेशी साधक आयेंगे जिससे भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा।