देहरादून-लीज़ की ज़मीन पर मालिकाना हक देने के मामले में अब भाजपा और कांग्रेस आमने सामने आ गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय जहां इस मामले पर मुख्यमंत्री से वार्ता कर इस मामले का नया हल निकालने की बात कही है, वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी ने उन्हें इस मसले पर अध्ययन कर समूचे मामले पर जांच रिपोर्ट देने को कहा है। मुन्ना सिंह चौहान ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार इसपर कोई गेम खेल रही है तो भाजपा उसे बख्शने वाली नहीं है।
खास बात ये है कि प्रदेश में जिन लोगों को तीस साल पहले ज़मीन लीज़ पर दी गई थी। उसमें से अधिक से अधिक 18 एकड़ असंचित ज़मीन अब उनके नाम हो सकेगी। इसी तर्ज पर अधिकतम 12.5 एकड़ ज़मीन सिंचित के नाम हो सकेगी। सरकार के इस फैसले को लेकर राजनीति गलियारों में तमाम आशंकाएं बनी हुई है। इस आशंका पर पहला सवाल कांग्रेस के अपने संगठन के अध्यक्ष ने खड़े किए है। किशोर उपाध्याय का कहना है कि 1990 से जिन लोगों ने लीज़ पर ज़मीन ली है, उनके नामों की व ज़मीनों की जांच की बात हरीश सरकार के सामने रखी थी। अभी तक इस मसले पर सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है। उन्होंने साफ किया कि वो इस मसले पर एक बार फिर मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिलेंगे और अपनी बात रखेंगे। चूंकि किशोर इस मसले पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुके है इसलिए पीसीसी अध्यक्ष होने के नाते उनके सामने संकट ये है कि मुख्यमंत्री उनकी इस मुलाकात को किस नज़रिए से देखते है ये सवाल भी राजनीतिक गलियारों में तैर रहा है।
उधर इस मामले पर भाजपा ने भी बांहे चढ़ा ली है। भाजपा के प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने सरकार के इस फैसले पर शंका जताते हुए कहा कि अगर सरकार की मंशा छोटे किसानों को भूमि का अधिकार देने की है तो भाजपा उसका स्वागत करती है लेकिन छोटे किसानों की आड़ में अगर सरकार की मंशा भूमाफियाओं और कुछ करीबी लोगों को राहत देने की है तो उसके खिलाफ भाजपा जनता के समक्ष सरकार के इस गोरखधंधे का भंडाफोड़ करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी की तरफ से उन्हें ये अधिकार दिया गया है कि वो समूचे मामले का अध्य्यन करें और एक जांच रिपोर्ट बनाएं। मुन्ना सिंह चौहान ने साफ किया कि वो इस मामले पर भूमाफियाओं और सरकार के करीबियों को कई सौ बीघा की ज़मीन कौड़ियों के दाम नहीं देने देगी।
बहरहाल लीज़ को लेकर कब्जाधारियों को अधिकार देने के मामले पर भाजपा और कांग्रेस में रार तय है। ऐसी परिस्थिति में जब कांग्रेस के पीसीसी अध्यक्ष खुद इस फैसले का विरोध कर रहे हो, तो आने वाले समय में हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ना तय है। भाजपा का विरोध भी इस मसले पर मुखर हो रहा है। ये कहना गलत नहीं होगा कि पीसीसी अध्यक्ष के बयान ने भाजपा के हौसले और बढ़ा दिए है।