देहरादून– काश अगर काल कभी बी.मोहन नेगी के बनाए कविता पोस्टर्स को देखता, उन्हें समझता तो यकीनन वो उन्हें अभी और जिंदा रहने की मोहलत देता। अभी नेगी दा की उम्र ही क्या थी, महज 65 साल। या हो सकता है कि काल ने बी.मोहन नेगी के उकेरे कविता पोस्टर्स को देखा हो और वो उनके हुनर पर फिदा हो गया हो, उसे भी लगा हो कि यमनगरी की दीवारों पर भी बी.मोहन नेगी का हुनर होना चाहिए।
साहित्य, खास कर कविता, चित्रकला और समाचारों की दुनिया से जुड़ा शायद ही कोई बिरला उत्तराखंडी ही हो जो बी.मोहन नेगी के हुनर से वाकिफ न रहा हो। पौड़ी में रहने वाले बी.मोहन नेगी उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी तो थे ही गजब के फनकार भी थे। अलग राज्य आंदोलन के दौरान नेगी दा ने कई कविता पोस्टर्स ने आंदोलन को प्राण वायु दी थी।
उनका फन उनकी उंगलियाें के जरिए कागज और कविता को जिंदा बना देता था। नेगी जी ने जब भी किसी कवि के कविता को कागज़ पर चित्रों के जरिए उकेरा तो यकीन मानिए उस पोस्टर ने उन भावों को न केवल आकार दिया बल्कि जान भी फूंक दी । बी.मोहन नेगी ने स्व.चंद्रकुवर बर्तवाल से लेकर —– तक शामिल कवियों की सोच को चित्र दिए रंग दिए। उनकी कविताओं को खूबसूरत पोस्टर में ढाला और कई बार अपने फेसबुक वाल पर शेयर भी की।
आज बी.मोहन नेगी हमारे बीच नहीं है, उनके चित्र हमे प्रेरणा देते रहेंगे, उनके जाने से उत्तराखंड का जो नुकसान हुआ है उसे शायद कोई नहीं भर पाएगा। बी.मोहन नेगी को khabaruttarakhand.com की ओर से भाव भीनी श्रद्धांजलि।
( सभी कविता पोस्टर्स बी.मोहन नेगी की फेसबुक वॉल से )