किच्छा (मोहम्मद यासीन)– प्याज, टमाटर और आलू ये फसलें ऐसी हैं जिनके दाम में उछाल आया तो बाजार में हाय तौबा मच जाती है और आम आदमी सरकार को कोसना शुरू कर देती है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों के इन फ
सलों के लिए लगातार शोध जारी है ताकि बाजार में फसले बराबर रहे दाम काबू में रहे और किसान की आमदनी बरकरार रहे।
सूबे के सबसे बड़े कृषि विश्वविद्यालय गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने पॉली हाउस में टमाटर की ऐसी कामयाब फसल पैदा कर दिखा दी है जिसे अपना कर किसान की आमदनी में इजाफा तो होगा ही बाजार में टमाटर की भी किल्लत नहीं होगी।
दरअसल कृषि वैज्ञानिकों ने पॉली हाउस में हाइड्रोपोनिक मैथड से टमाटर की ऐसी नस्ल उगाई है जिससे किसान दो से तीन फसल आसानी से ले सकते हैं। सबसे गजब की बात तो ये है कि इस विधि से उगाए जानी वाली टमाटर की फसल के लिए न तो मिट्टी की जरूरत नहीं होती है न भारी मात्रा में रसायनिक खाद की। इस मैथड से एक पौधे से से 15-20 किलो टमाटर लिए जा सकते हैं।
वैज्ञानिको की माने तो पहाडी इलाकों में इस विधि से किसान टमाटर और कुछ और दूसरी फसलों का उत्पादन कर अपनी आय को दोगना कर सकता है। खासकर पहाड़ी इलाकों में बारिश के पानी को ऊंचाई पर इक्कट्ठा कर पौधों की जड़ो तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है। वहीं इस पानी को फिर से इसी फसल में इस्तमाल किया जा सकता है। यानि कम पानी और कम लागत से अधिक पैदावार करते हुए अधिक मुनाफा किसान कमा सकते हैं।
इस शोध में जुटे वैज्ञानिक डॉ एम.के. नौटियाल और डा सुमित पुरोहित जैसे कृषि वैज्ञानिकों की माने तो हाइड्रोपानिक मैथेड से उगाए टमाटर के पौध की ग्रोथ 10 फुट से ज्यादा पाई गई है। जबकि टमाटर जड़ों से लेकर शिखर तक लग रहे हैं।वहीं उन्होने बताया कि इस विधि को उत्तराखंड के कई जिलों में प्रयोग कर टमाटर की फसल को उगा कर प्रयोग किया जा चुका है।
अब वैज्ञानिको की टीम इस विधि को किसानों को देने जा रही है। जिसके लिए मार्च या अप्रेल महीने में किसानों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसके बाद किसान अपने अपने क्षेत्रों में जा कर इस विधि से खेती कर फसल उगा सकते है साथ ही अपनी आय को दोगना कर सकते है। अब देखना ये है कि वैज्ञानिकों की मेहनत को सरकार किसानों तक कितने जोश से पहुंचाती है ताकि किसान इसे उत्साह से अपनाएं और अपनी आमदनी को दोगुना कर सकें।