देहरादून(मनीष डंगवाल)- प्रदेश में सरकार किसी भी दल की आए,जितना मुश्किल किसी मुख्यमंत्री के लिए विकास कार्यों को अंजाम तक पहुंचाना होता है ठीक उसी तरह की मुश्किलें अपनी पार्टी के कार्याकताओं को खुश रखने की चुनौती एक मुख्यमंत्री के लिए होती है कि कैसे पार्टी के कार्यकार्ताओं को वह खुश रखें। प्रदेश के सीएम त्रिवेंद्र सरकार से भी बीजेपी कार्याकर्ताओं की बड़ी उम्मीदें हैं कि सीएम त्रिवेंद्र रावत उन्हे दायित्व का उपहार देंगे और सीएम से इसी आस के चलते 2500 से 3000 भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदेश भाजपा संगठन और सरकार में दायित्व के लिए आवेदन कर दिए हैं।
अभी तक नहीं बांटे दायित्व, जिससे कार्यकार्ताओं में अंदर खासे नराजगी
यानी कि साफ कि भाजपा कार्यकर्ताओं में दायित्व पाने को लेकर काफी उत्साह है लेकिन उस उत्साह पर सीएम त्रिवेंद्र खुद ही ब्रेक लगाए हुए हैं,और सरकार के बने हुए डेढ़ साल होने वाले हैं लेकिन सीेएम ने अभी तक दायित्व नहीं बांटे है,जिससे कार्यकार्ताओं में अंदर खासे नराजगी भी है।
दायित्व बांटने से होती है सरकार की किरकिरी
प्रदेश में जिस मुख्यमंत्री ने भी बड़े स्तर से अपने लोगों को खुश करने के लिए दायित्व बांटे जनता से लेकर विरोधी दलों और दायित्व न मिलने से नाराज लोगों के सीधे निशाने पर मुख्यमंत्री आते रहे हैं और इसको लेकर कई मुख्यमंत्री अपनी किरकिरी करा चुके हैं…इसी किरकिरी से बचने के लिए मुख्यमंत्री दायित्व बांटने के लिए समय ले रहे हैं. ऐसा होता हुआ दिखाई दे रहा है। क्योंकि पहली बार प्रदेश में 57 विधायकों के समर्थन से सरकार बनी है…लिहाजा दायित्व मिलने वालों की आस भी इस पूर्ण बहुमत की सरकार में ज्यादा है…लेकिन प्रदेश के दो मंत्रियों के पद जिस तरह से अभी भी खाली हैॆं उसे लगता नहीं कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ज्यादा लोगों को दायित्व बांटेंगे…चाहे कार्यकर्ता कितने भी हाथ पावं दायित्व मिलने को लेकर मार लें।
किस मुख्यमंत्री ने कितनों का दायित्वों से किया खुश
उत्तराखंड का कोई भी मुख्यमंत्री दायित्व बांटने में पीछे नहीं रहा, हांलाकि राज्य 9 नवम्बर 2000 को जब राज्य का गठन हुआ और आंतरिक सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में नित्यानंद स्वामी पहले मुख्यमंत्री बनने तो उन्होने केवल दो लोगों को अपने कार्यकाल में दायित्प दिया…
वहीं जब नित्यानंद मुख्यमंत्री पद से हटे और भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री बनें तो उन्होने किसी को भी दायित्व से नहीं नवाजा। लेकिन जब आंतरिक सरकार के बाद निर्वाचित सरकार का गठन हुआ और नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बनें तो फिर दायित्व का पिटारा इस तरह छोटे से प्रदेश में खोला गया जिसकी आलोचनाएं अभी तक होती हैं,साथ ही आलोचना के बाद भी सभी मुख्यमंत्रियों ने अपनो को खुश करने के लिए खूब दायित्व बांटे। स्षष्ट आंकड़े तो दायित्व को लेकर नहीं हैं लेकिन आनुमानित तौर पर जो आंकडे दायित्व को लेकर मिले हैं वो इस प्रकार हैं।
मुख्यमंत्री कितने लोगों को दायित्व से किया खुश
नित्यानंद स्वामी ने 2 लोगों को बांटा दायित्व.
भगत सिंह कोश्यिारी ने किसी को दायित्व ने नहीं नवाजा.
नारायण दत्त तिवारी ने करीब 150 लोगों को बांटा दयित्व.
भुवन चंद्र खण्डूरी ने करीब 70 लोगों को बांटा दायित्व.
रमेश पोखरियाल निशंक ने करीब 150 लोगों बांटा दायित्व.
विजय बहुगुणा ने करीब 125 लोगों को बांटा दायित्व.
हरीश रावत ने 200 से 250 लोगों के करीब बांटा दायित्व
तो ये सभी मुख्यमंत्रियों के दायित्व बांटने का आंकड़ा है कि किस मुख्यमंत्री ने कितने दायित्व बांटे…आंकड़ों के अनुसार हर सरकार के बदलने के बाद दायित्व बांटने का आंकड़ा बढ़ाता गया। ऐस में सभी की नजरें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगी है कि आखिर कितने लोगों को मुख्यमंत्री दायित्व से नवाजते हैं..क्योंकि करीब 150 पद दायित्व दारियों के खाली चल रहे हैैं।
खबर उत्तराखंड के सूत्रों को मिली जानकारी के अनुसार
दायित्व बांटने को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भट्ट का कहना कि सरकार की कोशिश है कि पहले खेप में सवैंधानिक पदों के जो पद रिक्त चल रहे हैं,सरकार उन्ही को भरेगी। बाकी पदों को बाद में भरा जाएगा। अजय भट्ट का ये भी कहना कि जितने पदों के लिए आवेदन आए हैं,उन सभी को दायित्व दिया नहीं जा सकता है,क्योंकि दायित्व के सीमित पद ही हैं। लेकिन दूसरी तरफ खबर उत्तराखंड के सूत्रों को मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल सरकार नहीं बांटने जा रही है। जिसे दायित्व की उम्मीद लगाएं बैठे लोगों को दायित्व के लिए अभी और इंतजार करना होगा कहा जा सकता है।