पिथौरागढ़ के नगर के तहसील वार्ड निवासी धर्मेंद्र टोलिया को विभिन्न देशों में प्रचलित विभिन्न मुद्राओं का संकलन है। उनके पास जहां ग्वालियर रियासत के प्रचलित सिक्के हैं, वहीं 1818 में प्रचलित विक्टोरिया का सिक्का भी है।
पुराने समय में पहाड़ में ढेपुवा नाम से जाने वाले एक आना, एक पैसा, दो पैसा, पांच पैसा और दस पैसा के सिक्कों का वह संग्रह किए हुए हैं। वहीं पिछले साल प्रचलन से बंद हो चुके एक हजार और पांच सौ के नोटों को भी उन्होंने संजोकर रखा है।
80 देशों के सिक्के और 40 देशों के नोट मौजूद
धर्मेंद्र के पास 80 देशों के सिक्के और 40 देशों के नोट मौजूद हैं। वर्तमान में विण विकासखंड के राजकीय इंटर कॉलेज ढुंगातोली में लैब सहायक के पद पर कार्यरत धर्मेंद्र कहते हैं कि आगे भी करेंसी का संग्रह करते रहेंगे।
यहां रामलीला मैदान में नंदा महोत्सव की प्रदर्शनी के दौरान जब उन्होंने इन सिक्कों को रखा तो लोग जिज्ञासावश इन मुद्राओं को देखने के लिए उमड़ पड़े। धर्मेंद्र ने बताया कि उनके जितने भी साथी विदेश यात्रा पर गए, सभी से वह वहां के सिक्के और नोट लाने का आग्रह करते थे।
पुरानी प्रचलित मुद्रा को संकलित करने में उनको काफी मशक्कत करनी पड़ी। उनके संकलन में 1818 में प्रचलित विक्टोरिया का सिक्का भी है। यह सिक्का चांदी का होता है। उन्होंने बताया कि हर देश की मुद्राएं कुछ अंतराल के बाद बदलती रहती हैं और प्रचलन से बाहर हो चुकी मुद्रा फिर इतिहास बन जाती हैं