देहरादून- प्रचंड बहुमत वाली डबल इंजन की सरकार या तो जनता की अनदेखी कर सकती है, या फिर कोई बयान दे सकती है ताकि कराह रही जनता का गुस्सा मिट जाए और सरकारी बयान उन्हें तब तक के लिए सुकून दे दे जब तक उनका पाला दिक्कत से नहीं पड़ता।
लेकिन सच ये भी है कि शुतुर्मुर्ग की तरह गर्दन को रेत में छुपाकर दुश्मन से जान नहीं बचाई जा सकती। सूबे में हालात बहुत खतरनाक है और सरकार ने होश में नहीं आई तो हालात बेकाबू होने की ओर भी बढ़ रहे हैं।
वो इसलिए कहा जा रहा है कि सूबे में बेपटरी होती स्वास्थ्य सेवाओ को यूकेडी ने अपने तेवर तल्ख भी कर दिए हैं। हालांकि ये बात अलग है कि यूकेडी के पास फिलहाल मुट्ठी भर कार्यकर्ता हैं लेकिन कब कौन सा विचार ज्वार बन जाए कोई नहीं समझ सकता।
दरअसल राज्य में जानलेवा स्वाइन फ्लू की गंभीर स्थिति का जायजा इन आंकड़ो से लिया जा सकता है कि अब तक 227 मामलों में से 97 स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मामले पाए गए जिनमें 28 में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। जबकि खौंफनाक सच ये है कि 28 में से 15 लोग स्वाइन फ्लू के ग्रास बनकर अकाल मौत के शिकार भी हो गए हैं। डरावनी बात ये है कि स्वाइन फ्लू फैलने वाला रोग है और इसकी जांच दिल्ली में हो रही थी। दून अस्पताल में अब तक इंतजामात नहीं हो पाए हैं कई इन 15 मौतों में से भी कई मरीजों की मौत पहले हुई और रिपोर्ट बाद मे आई।
उधर यूकेडी कार्यकर्ताओं ने देहरादून के शहीद स्मारक मे प्रदेश सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया और प्रदेश सरकार से सरकारी अस्पतालों की सेहत सुधारने की मांग की ताकि किल्लतों से जूझते सरकारी अस्पतालों में उत्तराखंड के आम आदमी का इलाज हो सके और देहरादून के दून अस्पताल और दूसरे अस्पतालों में डाक्टर्स पर बेजा बोझ न पड़े। लिहाजा यूकेडी के केंद्रीय युवा सह संयोजक सुशील कुमार ने सूबे की सरकार को चेतावनी दी कि अगर जल्द ही सरकार ने कोई रास्ता नहीं निकाला तो यूकेडी सड़कों पर आंदोलन का बिगुल बजा देगी।