हरिद्वार- आम जनमानस को माया मोह से त्याग का पाठ पढ़ाने वाले साधु संत माया-मोह में इस कदर जकड़े हुए हैं कि हरिद्वार की एक संपत्ति को लेकर निरंजनी अखाड़े के संतों में आरोप-प्रत्यारोप की जंग चल रही है.
निरंजनी अखाड़े से जुड़े साधु रामानंद पुरी ने रामानंद इंस्टिट्यूट नाम से एक विद्यालय की स्थापना की थी लेकिन अब अखाड़े ने उनकी गतिविधियों को देखते हुए रामानंद पुरी को इंस्टिट्यूट से हटाकर अखाड़े के ही दूसरे संत रविंद्रपुरी को चेयरमैन बना दिया है. साथ ही रामानंद पुरी को अखाड़े के सचिव पद से भी बर्खास्त कर दिया गया है.
अखाड़े से ही जुड़े अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है की संत परंपरा में साधु की अपनी निजी कोई संपत्ति नहीं होती है जो भी होता है संस्था का होता है और इंस्टिट्यूट को खड़ा करने में निरंजनी अखाड़े के साधु संतो ने अखाड़े से पैसा दिया था लेकिन रामानंद पूरी इसको अपनी निजी संपत्ति बताते हैं.