हल्द्वानी – सूबे के लिए जान प्राण बन चुका उप खनिज का धंधा एक अक्टूबर से चालू हो जाएगा। लेकिन उससे पहले ही हल्द्वानी में गौला नदी के उपखनिज के कारोबार का प्रबंधन करने वाले वन निगम पर उंगलियां उठने लगी है। दरअसल गौला नदी से निकलने वाले उप खनिज को तौलने को लिए 32 धर्म कांटे लगाए जाने हैं। निगम ने इसके लिए टेंडर निकाले।
लेकिन तकनीकी निविदा भरने वाले कई ठेकेदारों का आरोप है कि वन निगम के अफसरों ने अपने चेहतों के धर्मकांटे लगवाने के लिए उनके साथ नाइंसाफी की है। ठेकेदारों की माने तो निविदा 19 सितंबर को खुलनी थी लेकिन वन निगम ने तकनीकी निविदा एक दिन पहले ही 18 सितंबर को रात में ही खोल दी जो कि नियम विरूद्ध है।
हालांकि बताया जा रहा है कि तौल के लिए लगने वाले 32 धर्म कांटों के लिए 11 लोगो ने टेंडर डाले थे। लेकिन महकमे के जिम्मेदार लोगों ने 7 लोगो टेंडरों को आधा-अधूरा बता कर निरस्त कर दिया। जिस पर नाराज ठेकेदारों ने वन निगम के कार्यालय मे जाकर जमकर हंगामा काटा और वन निगम के अधिकारियो पर टेन्डर मे अपने चहेतो को फायदा पहॅुचाने के लिए मिलीभगत के आरोप लगाया।
हालांकि वन निगम के अधिकारी टेंडर प्रक्रिया मे पूरी पारदर्शिता होने की बात कह रहे है। उनका दावा है कि प्रपत्र आधे अधूरे हैं और जानकारियों का आभाव है जबकि टेंडर में हिस्सा लेने से पहले खारिज हो चुके ठेकेदारों का आरोप है कि जितनी शर्ते महकमें ने रखी हैं वे उसे पूरा करते हैं। ठेकेदारों की मांग है कि टेंडर दोबारा से होने चाहिए ताकि उनके साथ इंसाफ हो सके।
बहरहाल असल सवाल ये है कि सरकार जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है जबकि आम आदमी सरकारी महकमो पर कदाचार का आरोप लगा रहा है। हालांकि कहावत है कि बिना आग के धुंआ नहीं उठता और अगर आग है तो फिर जीरो टॉलरेंस कहां पर है ये बड़ा सवाल है !