मनीष डंगवाल। उत्तराखंड में चल रहे तमाम बोर्डिंग स्कूल अवैध रूप से संचालित हो रहें हैं। बोर्डिंग स्कूलों के पास छात्रावास के संचालन का कोई आदेश ही नहीं। उनके पास सिर्फ स्कूल के संचालन का अधिकार पत्र है। हालांकि राज्य सरकार के पास बोर्डिंग स्कूलों के छात्रावास के संचालन के लिए नियमावली भी नहीं है। राज्य में अब तक बोर्डिंग स्कूलों के लिए कोई नियम कानून है ही नहीं।
दरअसल जीआरडी बोर्डिंग स्कूल में गैंगरेप की घटना के बाद छात्रावासों की सुरक्षा व्यव्स्था पर सवार खड़े हो रहें हैं। ऐसे में तफ्तीश में सामने आया है कि राज्य सरकार के पास छात्रावासों को लेकर कोई कानून है ही नहीं। प्रबंधन को सिर्फ स्कूल के संचालन के लिए शिक्षा विभाग के जरिए एनओसी दी जाती है। इसी एनओसी के आधार पर सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड अपनी मान्यता स्कूलों को देते हैं। इस एनओसी में कहीं भी छात्रावास संचालन के लिए कोई दिशा निर्देश नहीं होते हैं।
जीआरडी गैंगरेप से उठ रहे हैं सवाल
जीआरडी वर्ल्ड पब्लिक स्कूल के छात्रावास में हुई गैंगरेप की घटना के बाद सवाल ये भी खड़ा होता है कि नियमों के तहत छात्रावास के किस जिम्मेदार पर कार्रवाई की जाए? छात्र और छात्राओं के आवास अलग अलग होने चाहिए थे लेकिन जीआरडी में ऐसा नहीं हुआ। लेकिन स्पष्ट नियमों के अभाव में यहां कार्रवाई में पेंच फंस सकता है। फिर ये भी तय नहीं हो सकता कि किस आधार पर एक ही परिसर में छात्र और छात्राओं को रहने की अनुमति दी गई।
कई राज्यों में हैं नियम
कई राज्यों में बोर्डिंग स्कूलों को चलाने के लिए कड़े नियम कानून बनाए गए हैं। इसमें बच्चों को सुरक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, गुणवत्ता और पोषण युक्त भोजन दिए जाने का प्रवाधान है। केरल एक ऐसा ही राज्य है जहां बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस के जिम्मे होती है तो व्यास्थाओं की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती। हर माह बच्चों का स्वास्थ्य परिक्षण कराया जाता है तो बच्चों को परोषे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की परख के लिए नियमित निरीक्षण किया जाता है। कुल मिलाकर बोर्डिंग स्कूलों पर सीधे तौर से सरकारी सिस्टम की जावबदेही तय की गई है जो उत्तराखंड में नहीं है।
सरकार लेगी सबक?
जीआरडी की घटना राज्य सरकार के लिए एक सबक हो सकती है। राज्य सरकार को अब बोर्डिंग स्कूलों के लिए नियम और कानून बनाए होंगे। बच्चों को सुरक्षित रखने और बोर्डिंग स्कूलों पर लगाम रखने के लिए ये एक जरूरी कदम कहा जा सकता है।