देहरादून- खनन और शराब की बैशाखियों पर टिकी सूबे की सरकार को अपने दोनों कारोबारों को जारी रखने के लिए पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। पहले शराब के धंधों को हाई-वे पर शुरू करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी पड़ी थी तब जा कर गली मुहल्लों से शराब की दुकान मुख्य सड़कों पर गुलजार हुई।
वहीं राज्य में अब तक उप खनिज की बिक्री शुरू नहीं हो पाई है। उप खनिज तौलने वाले धर्मकांटों के टेंडर का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। जहां से अभी तक कोई फैसला नहीं आया है। हालाकिं हाईकोर्ट ने कामचलाऊ व्यवस्था के तहत पुराने धर्मकांटों से उपखनिज बिक्री का काम चलाने को कहा है। बावजूद इसके सरकार के काबिल अफसर उपखनिज तौल कर नहीं आयतन के हिसाब से निकासी चाहते हैं। इसकी शुरूआत हो भी गई है।
आपको बता दें कि इस हफ्ते राजधानी के गलियारे में इस बात की चर्चा थी कि तौल के बजाय आयतन के हिसाब से उपखनिज निकासी में वन निगम के कई उन अफसरों की दिलचस्पी हैं जिनके करीबी खनन के धंधे से जुड़े हैं।उन्होने इसके लिए शासन में एक सिफारिशी पत्र भी भेजा है,ताकि हाकिम लोग उनकी सलाह पर अपनी सहमति की मुहर लगा दें। तर्क दिया जा रहा है कि अब तक राज्य की नदियों ने उप खनिज की बिक्री धर्मकांटों की वजह से शुरू नहीं हुई है। इसलिए उपखनिज की बिक्र के लिए पुरानी व्यवस्था लागू कर दी जाए।
अब प्रमुख सचिव खनन की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी इस बात पर सहमति बन गई है कि इस महीने आयतन के हिसाब से ही देहरादून की सौंग और जाखन नदी से आरबीएम निकाला जाए। ये व्यवस्था 30 नवंबर तक जारी रहेगी उसके बाद हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक नई व्यवस्था भी लागू कर दी जाएगी।
हालांकि दबे स्वर में चर्चा इस बात की भी हो रही है कि आयतन के हिसाब से आरबीएम बेचने की ये व्यस्था धीरे-धीरे पूरे राज्य में लागू कर दी जाएगी। बैठक के दौरान कहा भी गया है कि अगर व्यवस्था कामयाब रही तो इसे कुमाऊं मंडल की गौला जैसी बड़ी कमाऊ नदियों में भी लागू कर दिया जाएगा।