देहरादून- हमने और आपने अमूमन बच्चों को ऐसा करते देखा है कि बच्चों के संगी-साथियों के पास कोई ज्यादा अच्छी चीज हो तो उनमे जलन की भावना पैदा हो जाती है. लेकिन आला-आधिकारियों में अगर यही भावना पैदा होने लग जाए तो क्या होगा. राज्य का देश का विकास कैसे होगा ये हम और आप भी सोच सकते हैं.
देहरादून सचिवालय के अंदर हलचल
जी हां ऐसा ही कुछ चल रहा है देहरादून सचिवालय में जहां कुछ प्रमोटी आईएएस अधिकारी उनको सौंपें गए महकमें से नाखुश है और उनको शिकायत है. अपनी उपेक्षा या यूं कहे कि जो विभाग या काम आईएएस अधिकारियों को सौंपा गया है उससे नाखुश प्रमोटी आईएएस अफसरों की नाराजगी जब मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद भी नहीं थमी तो इन अफसरों ने अपनी अलग यूनियन बनाने की राह पर काम करना शुरू कर दिया है। इससे क्या ये हो सकता है कि सूबे के आईएएस एसोसिएशन दो टुकड़ों में बंट जाएंगे.
प्रमोटी आईएएस अफसरों का गुस्सा और भड़का
दरअसल 13 अप्रैल को नाराजगी को दूर करने के लिए आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह की अगुवाई में एक बैठक रखी गई थी। लेकिन यह बैठक नहीं हो पाई जिससे प्रमोटी आईएएस अफसरों को लगने लगा कि शायद उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा या प्राथमिकता नहीं दी जा रही. जिसके बाद यह बैठक 17 अप्रैल तक टलने के बाद प्रमोटी आईएएस अफसरों का गुस्सा और भड़क गया है।
सीधी भर्ती के आईएएस अफसर दो गुटों में बंट गए
आपको बता दें उत्तराखंड सचिवालय में बिहार से संबंध रखने वाले सीधी भर्ती के आईएएस अफसर दो गुटों में बंट गए हैं। जिसमें पहले एक ग्रुप है मुख्य सचिव उत्पल कुमार, राधिका झा तथा नितेश झा हैं जिनके लिए माना जाता है कि मुख्यमंत्री सर्वाधिक तवज्जो इसी ग्रुप को देते हैं।
दूसरे ग्रुप में बिहार से संबंधित
दूसरे ग्रुप में बिहार से संबंधित वह अफसर हैं जिन्हें मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ समय से तवज्जो देना कम कर दिया है। इन अफसरों के भी प्रमोटी आईएएस अफसरों की लड़ाई में साथ देने से एसोसिएशन के सचिव आनंदवर्धन और अध्यक्ष रणवीर सिंह की पेशानी पर बल पड़ गए हैं।
अधिकारियों की शिकायत है कि उन्हें महत्वहीन महकमा दिया गया
दरअसल प्रमोटी आईएएस अफसरों की यही शिकायत है कि उन्हें लंबे समय तक बिना काम के बेवजह बैठाया जाता है जबकि कुछ अधिकारियों को महत्वपूर्ण महकमें सौपें जाते हैं. अधिकारियों की शिकायत है कि उन्हें महत्वहीन महकमा दिया गया है.
वित्त सेवा के अफसरों को उनसे अधिक तवज्जो दिए जाने से भी नाराज
प्रमोटी अफसर वित्त सेवा के अफसरों को उनसे अधिक तवज्जो दिए जाने से भी नाराज हैं। साथ ही स्वास्थ्य तथा ऊर्जा विभाग में वित्त सेवा के दो अफसरों की नियुक्ति से भी खासा नाराज हैं। जबकि अपर सचिव अतुल गुप्ता को पिछले काफी लंबे समय से मात्र पुनर्गठन विभाग थमाकर भुला दिया गया है। इसी तरह सचिवालय संवर्ग से अपर सचिव पद पर पदोन्नत रमेश कुमार को भी 1 महीने से अधिक समय तक खाली रखा गया और अब उनके पास सिर्फ प्रोटोकॉल विभाग का ही जिम्मा है।
इनकी ये भी शिकायत है कि जब भी कोई अनियमितता अथवा घोटाला की बात सामने आती है तो सीधी भर्ती वाले आईएएस अफसरों को तो नोटिस तक नहीं भेजा जाता और उन्हें तुरंत क्लीन चिट दे दी जाती है जबकि प्रमोटी आईएएस अफसरों को लंबे समय से जांच में उलझा कर रखा गया है।
17 अप्रैल को होने वाली बैठक में क्या बात सामने आती है और क्या नतीजा निकलता है वो तो बैठक के बाद ही पता चलेगा. क्या आईएएस एसोसिएशन दो टुकड़ों में बंट जाएगी.