देहरादून- जिस सरकार के प्रभारी मंत्री जिलों के दौरों से ही हिचक रहे हों ऐसी सरकार गैरसैंण में राजधानी और पहाड़ी जिलों के सुलगते सवालों का क्या समाधान खोज पाएंगे कहना मुश्किल है।
दरअसल ये बात इसलिए कही जा रही है कि जिस टीएसआर कैबिनेट में शामिल मंत्रियों को पहले जनता के दुख-दर्द से रूबरू होने के लिए जिलों का प्रभार सौंपाने का निर्णय लिया था। उसके तहत प्रभारी मंत्रियों को हर महीने सौंपे गए जिले में जनता मिलन कार्यक्रम आयोजित करने थे और जनता की फरियादों पर गौर करना था।
लेकिन त्रिवेंद्र रावत कैबिनेट में शामिल मंत्रियों ने इस फरमान पर गौर नहीं किया। नतीजतन टीएसआर कैबिनेट ने अपना फैसला ही पलट दिया। अब कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि मंत्रियों को परेशान न किया जाए बल्कि जनता को सफर के लिए मजबूर किया जाए।
नए फैसले के तहत अब माणा या गुंजी गांव की दुख-तकलीफ सुनने के लिए साधन संपन्न मंत्री महोदय को गोपेश्वर, पिथौरागढ़ या धारचूला नहीं जाना पड़ेगा बल्कि गरीब गुरबों को अपनी फरियाद सुनाने के लिए बुधवार और गुरूवार को देहरादून के विधानभवन में प्रभारी मंत्री के सामने हाजरी देनी होगी।
किराया-भाड़ा खर्च करने के बाद काम होगा या सिर्फ आश्वासन मिलेगा या फिर दरख्वास्त किसी फाइल गुम हो जाएगी ये बाद की बात है। आज की कैबिनेट का बड़ा निर्णय यही रहा। मतलब साफ है कि प्रभारी मंंत्रियों को जनता के बीच जिलों में जाकर धूल फांकने की जरूरत नहीं है। जिसे आना होगा वो सरकार के द्वार आएगा सरकार चुनाव के वक्त जनता के द्वार जाएगी।
इसके अलावा आज की कैबिनेट में सरकार ने परिवहन महकमे की नियमावली में भी फेरबदल करने पर सहमति जताई। इस फेरबदल के तहत अब एक सड़क सुरक्षा कोष बनाया जाएगा। जिस में चालन के जुर्माने से हासिल होने वाली रकम का 25 फीसदी जमा होगा। इस रकम से राजमार्गों और जिला मार्गों पर सड़क सुरक्षा के लिेए जरूरी खर्च किया जाएगा।
वहीं कैबिनेट ने निर्णय लिया कि राज्य में जारी सराय अधिनियम 1867 को खत्म कर दिया जाए। अब राज्य में पर्यटन के विकास के लिए जो भी नई सराय या होटल बनेंगे वे उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के तहत पंजीकृत किए जाएंगे। जबकि अब तक सराय अधिनियम के तहत पंजीकृत सरायों को इसी यूटीडीबी में मर्ज कर दिया जाएगा। पुराने होटल या सरायों को दुबारा से रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके अलावा भी और कई अहम प्रस्तावों पर कैबिनेट में चर्चा हुई और सहमति की मुहर लगी।