देहरादून- चुनौती कितनी भी हो, परिस्थितियाँ कितनी भी जटिल हो लेकिन जज़्बा हो तो रास्ते ख़ुद बा खुद बन जाते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है स्पेशल चाइल्ड द्वैपायन कुमार ने। ऑटिजम नाम की बीमारी से ग्रस्त होते हुए भी द्वैपायन कुमार ने आगे बढ़ने की मिसाल पेश की और गायन विधा में सफलता प्राप्त की। ये उन सभी लोगों के लिए एक अच्छा संदेश देता है जो लोग स्वस्थ होने के बावजूद भी अपनी जिंदगी को कोसते है, मेहनत करने से कतराते हैं और जिंदगी को नर्क की संज्ञा देते हैं.
यह बहुत सुखद संयोग है कि द्वैपायन कुमार, वरिष्ठ नौकरशाह डाक्टर राकेश कुमार के बेटे है। जिन्होंने देहरादून के डीएम रहते और शिक्षा सचिव उत्तराखंड रहते हुए नए आयाम स्थापित किए। ग़ज़ब बात यह है कि खाँटी नौकरशाह वाली छवि वाले राकेश कुमार ने बेटे को गायन और तैराकी में आगे बढ़ने के लिए तमाम प्रयास कर बेटे का मनोबल बढ़ाया।
आपको बता दें द्वैपायन कुमार देवभूमि में ही पले बड़े हुए हैं, उन्हे बचपन से ही संगीत सुनने का शौक है. ऑटिजम से ग्रसित द्वैपायन बड़े ही संघर्ष के बाद संगीत की दुनिया में कदम रखा. आपको बता दे यें अच्छे पेंटर और तैराक भी हैं.
नगर निगम सभागार में आयोजित इंटरनैशनल परफ़ोर्मिंग आर्ट फ़ेस्टिवल में द्वैपायन कुमार ने जब एक स्वरचित भजन गया तो पूरा सभागार झूम उठा। यह भजन उन्होंने पूर्व मुख्य सचिव स्वर्गीय आरएस टोलिया को समर्पित किया। इसके बाद उन्होंने एक फ़िल्मी ग़ज़ल भी प्रस्तुत कर तालियाँ बटोरी।
आपको बता दे देश में लगभग 1.8 करोड़ लोग इस बिमारी से ग्रसित हैं. इसे दवाओं से भी पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन सही माहौल और देखभाल से राह काफी आसान हो जाती है।