सितारगंज – तीन दिन बीतने के बाद भी जंगलात महकमे के हाथ खाली हैं। अब तक महकमें के पास उस खूनी बाघ का कोई सुराग नहीं है जिसने तुर्का तिसौर के किसान पर हमला कर मौत के घाट उतार दिया था। बाघ के मुंह इंसानी खून लगने से आस-पास के इलाके में अवाम दहशतजदा है। हालंकि जंगलात के अधिकारियों की माने तो बाघ की तलाश के लिए ड्रोन कैमरों की मदद लेने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि तीन दिन पहले सितारगंज के तुर्का तिसौर गाँव में एक किसान नदी किनारे चारा लेने गया था। लेकिन तभी पहले से गन्ने के खेत में छिपे बाघ ने किसान पर हमला कर उसे बुरी तरह जख्मी कर दिया। जिससे किसानी की मौके पर ही मौत हो गई थी।
इस अप्रिय घटना के बाद वन विभाग की टीम बाघ को पकड़ने के लिए जबरदस्त कसरत कर रही है लेकिन अभी तक उसके हाथ खाली हैं। जबकि बाघ की हरकत को देखते हुए प्रशासन ने घटना स्थल के समीप चल रहे चीकाघाट मेले को स्थगित कर दिया गया है। जबकि नगर और गांव में सतर्क रहने की मुनादी करवा दी गई है।
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि आखिर वन महकमा और सरकार पिछले सत्रह सालों में कुछ ऐसा इंतजाम क्यों नहीं कर पा रही हैं कि जंगल के भीतर का परितंत्र मजबूत रहे। जाहिर सी बात है कि अगर जंगल के भीतर भोजन कड़ी बरकार रहेगी तो जानवरों को अपने निवाले की तलाश में इंसानी बस्तियों के भीतर दखल देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।