देहरादून: देहरादून की सड़कों को अब खूनी सड़को का नाम दिया जाने लगा है. और दें भी क्यों ना आए तीसरे दिन एक की मौत से देहरादून पुलिस भी सकते में है. इसका कारण दून की सड़के और बेपरवाह जनता है जो नियमों को ताक पर रख कर वाहन चलाते हैं.
यातायात नियमों की जानकारी देने और लोगों को जागरूक करने के लिए पुलिस अभियान चलाती है. औऱ चालान काटकर सबक भी सिखाती है लेकिन फिर भी हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। आंकड़े गवाह हैं कि दून में हर तीसरे रोज सड़क दुर्घटनाओं में एक व्यक्ति की जान जा रही है। हाईवे पर कई जगह डिवाइडर ओपनिंग नहीं होने से लोग उल्टी दिशा में चलते हैं, इस कारण भी हादसे हो रहे हैं।
शराब बड़ा कारण
सड़क हादसों का बड़ा कारण शराब पीकर वाहन चलाना है। पुलिस अफसरों का कहना है कि अधिकांश सड़क हादसों में चालक नशे में पाए जाते हैं। नशेड़ी चालकों पर लगाम कसने के लिए ट्रैफिक पुलिस द्वारा बीच-बीच में ब्रीथ एनालाइजर मशीन से जांच कर कार्रवाई की जाती है।
बच्चे चला रहे वाहन
सड़कों पर बच्चे भी वाहनों को तेजी से दौड़ाते हैं, जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं होता। वहीं बड़ी गाडिय़ों के चालक भी परिचालकों को सीखने के लिए भी गाड़ी थमा देते हैं, इससे कई बार दुर्घटना हो जाती है।
सड़क हादसों से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
-भारत में सड़क हादसों में प्रतिवर्ष एक लाख 45 हजार लोगों की मौत हो जाती है।
2015 में सड़क हादसों में दम तोडऩे वाले अधिकांश 15 से 44 वर्ष की आयु वर्ग के थे।
1.5 फीसदी सड़क हादसे और 4.6 फीसदी मौतें शराब पीकर गाड़ी चलाने की वजह से होती हैं।
2017 में उत्तराखंड में सड़क हादसों में 940 की मौत हुई और 16 सौ लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
देहरादून में 2017 में 342 सड़क हादसों में 132 से ज्यादा लोग मारे गए और 143 से ज्यादा लोग घायल हुए।
सड़क हादसों की स्थिति
वर्ष, हादसे, मृतक, घायल
2013, 296, 138, 274
2014, 314, 146, 285
2015, 343, 143, 303
2016, 295, 139, 220
2017, 342, 132, 143
2018 अब तक, 75, 26, 53
एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि सड़क हादसों में कमी आई है। पिछले साल की तुलना में इस साल कम मौतें हुई हैं। यह पुलिस के अभियान का ही असर है। अब इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन दिल्ली के साथ मिलकर हादसों के कारणों का अध्ययन किया जा रहा है। भविष्य में कुछ और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।