रुद्रपुर- इलाके मे तरक्की की खूबसूरत तस्वीर को बनाने से पहले घपले घोटाले से बदरंग कैसे किया जाता है यदि इसकी कला सीखनी है तो उसके लिए रुद्रपुर नगर निगम से बेहतर कोई पाठशाला नहीं हो सकती।
आरोप है कि नगर निगम ने कागजों पर ही निर्माण कार्य कराया और काम का भुगतान हकीकत में कर दिया। रुद्रपुर नगर निगम ने बिना टाइल्स रोड बनाये और बिना नाली मरम्मत के ही 25 लाख रूपये का भुगतान ठेकेदार को किया है। हालांकि शिकायत के बाद जांच की आंच सुलगा दी गई है।
नगर निगम की इस कारगुजारी का पता तब चला जब दानिशमंद सजग नागरिक ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी। सूचना के अधिकार के तहत नगर निगम से साल 2013 -14 और 2014 -15 में गोलमार्केट में स्लेब पुर्ननिर्माण, नाली मरम्मत और हरी मंदिर गली में पटरी टाइल्स रोड निर्माण के के भुगतान के बारे में जानकारी मांगी गई। पता चला कि इसके लिए निगम ने 25. 47 लाख रूपये का भुगतान ठेकेदारों को किया है। लेकिन इलाके में रहने वाले लोगों की माने तो जिस का काम के भुगतान का जिक्र नगर निगम कर सूचना के दस्तावेजों मे कर रहा है वो काम जमीन पर हुआ ही नहीं है।
सूचना के अधिकार के तहत चिराग कालरा ने जब इस गड़बड़ी की शिकायत की तो उसके बाद जिला प्रशासन ने इस गड़बड़ी की जांच शुरू की। गजब की बात तो ये है कि बताया जा रहा है कि रुद्रपुर मेयर और नगर निगम के काबिल अफसरों को इस घोटाले की खबर ही नहीं हैं। हालांकि स्थानीय लोगों को उनके दावें पर यकीन नहीं हो रहा है। नगर निगम गड़बड़ी की क्या खिचड़ी पका रहा है इसकी भनक किसी को न लगती अगर आरटीआई एक्टिविस्ट चिराग कालरा जानकारी न मांगते और इस बड़े घपले की शिकायत न करते। बहरहाल शिकायत के बाद अब शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने इस पुरे गड़बड़ घोटाले की जांच शुरू करा दी है |
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि जो निर्माण कार्य जमीन पर हुआ ही नहीं है उसका भुगतान कैसे हो गया। आखिर वो कमजोर कड़ी कौन है जिसका फायदा उठाकर जनता के पैसों को ठिकाने लगाया जा रहा था और किसकी शह पर ।