टिहरी, हर्षमणी उनियाल– सरकार, आपके सिस्टम के आगे गौतम सिंह नेगी हार गया है, सुनकर आपको न जाने कैसा लेगेगा लेकिन हकीकत यही है कि आपका नकारा सिस्टम लुंजपुंज होने के बावजूद भी जीत गया है। आपके सरकारी तिलस्म का तोड़ टिहरी जिले के श्रीकोट गांव का गौतम नेगी नेगी नहीं तोड़ पाया।
ये खबर आपको विचलित करे या न करे लेकिन उस उत्तराखंडी की रूह कंपा रही है जिसे अपने पहाड़ से मुहब्बत है। जिनको सीएम साहब की रिवर्स माइग्रेशन पर यकीन हो रहा था। जिनको ये सुनाई दे रहा है कि उत्तराखंड में सरकार स्वरोगार करने वालों का खैरमकदम कर रही है उनकी कदम-कदम पर मदद के लिए अपने पलक पांवड़े बिछाने को बेकरार है।
हजूर, श्रीकोट गांव के रहने वाले जिस गौतम नेगी ने विदेश की नौकरी को तिलांजलि देकर स्वरोजगार अपनाया अपनी जमा पूंजी से गाय खरीदी आज उसको दाना पानी खरीदने के लिए बैंक से कर्ज नहीं मिला। उसने अपनी जमीन गिरवी रखने को कहा, बावजूद इसके उसे हर सरकारी दहलीज से टरकाया गया।
नतीजा ये हुआ कि अपनी हजारों की गाय को गौतम भूखा मरते हुए देख नहीं पाया और उसने अपनी गाए सड़कों पर खोल दी हैं। ताकि गोमाता भूखी न मरे। ये हालात तब है जब देश और प्रदेश में गोभक्तों की सरकार है।
गजब का सवाल तो ये है कि, जब बेरोजगारों के लिए सरकार तमाम तरह की बात करती है, कहीं प्रधानमंत्री रोजगार योजना और कभी मुद्रा योजना अपनाने की बात की जाती है। बावजूद जमीनी हकीकत ये है कि टिहरी जिले के श्रीकोट गांव के गौतम नेगी को पूंजी के आभाव में अपना स्वरोजगार सरकारी सिस्टम की काहिली के चलते उजाड़ने को मजबूर होना पड़ता है। उसे अपनी हजारों रूपए की महंगी गाय को सड़क पर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है। ताकि वो गाय जिंदा रहे जिसे मौजूदा वक्त की सरकारें भाषणों में गोमाता पुकारती हैं।
इस वीडियो को जरूर देखें, पता चल जाएगा उत्तराखंड के सरकारी नकारा सिस्टम में कितना मुश्किल है स्वरोजगार करना