देहरादून- एससी/एसटी एक्ट में बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बड़ी संख्या में दलित संगठनों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है. दरअसल पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट का गलत इस्तेमाल होने पर चिंता जाहिर करते हुए इसमें कुछ बदलाव किए थे. कोर्ट के इस फैसले पर दलित संगठन कानून को कमजोर करने की दलील दे रहे हैं और लगातार विरोध में आवाज उठा रहे हैं.
उत्तराखंड में जगह-जगह प्रदर्शन
बाकी राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी दलिस संगठन का विरोध देखने को मिला. देहरादून, रुड़की, ऋषिकेष, हरिद्वार सहित कई जगहों पर दलित संगठनों ने प्रदर्शन किया.
यहां-यहां दिखा असर
बिहार के अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, जहानाबाद और आरा में भीम सेना के रेल रोकी और सड़कों पर जाम लगा दिया. ओडिशा के संभलपुर में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन रोक दी हैं.
सबसे ज्यादा असर पंजाब में देखने को मिला
इस बंद का सबसे ज्यादा असर पंजाब में दिखने की आशंका है, जिसके बाद पूरे सूबे में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. पंजाब सरकार ने बस और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद करने का आदेश दिया है. साथ सेना और अर्द्धसैनिक बलों को अलर्ट पर रखा गया है. इसको देखते हुए सीबीएसई ने राज्य में कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा पोस्टपोन कर दी है। बोर्ड ने कहा कि केंद्र शासित चंडीगढ़ और देश के अन्य हिस्सों में परीक्षाएं शेड्यूल के मुताबिक होंगी। पंजाब में परीक्षा की अगली तारीख जल्द घोषित की जाएगी। पंजाब सरकार ने राज्य में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए हैं।
मेरठ में फूंकी बस-चौकी
इसी को देखते हुए दलित संगठनों के लोगों ने जमकर हंगामा किया बस औऱ चौकियां तक फूंक डाली.
कांग्रेस और एनडीए के सहयोगियों ने की रिव्यू पिटिशन दाखिल करने की मांग
बता दें कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के अलावा एनडीए के दलित और पिछड़े वर्ग से आने वाले जनप्रतिनिधियों ने भी मोदी सरकार से रिव्यू पिटिशन दाखिल करने की मांग की थी। इसके अलावा एनडीए के कुछ सहयोगी दलों ने भी नाखुशी जाहिर की थी। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की पुष्टि की है। प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि एससी-एसटी प्रटेक्शन ऐक्ट मामले में सरकार सोमवार को पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है।
पुनर्विचार के लिए सरकार ने तैयार किए तर्क
सरकारी सूत्रों ने बताया कि सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय द्वारा दाखिल किए जाने वाली इस याचिका में यह तर्क दिया जा सकता है कि कोर्ट के फैसले से एससी और एसटी ऐक्ट 1989 के प्रावधान कमजोर हो जाएंगे। याचिका में सरकार यह भी तर्क दे सकती है कि कोर्ट के मौजूदा आदेश से लोगों में कानून का भय खत्म होगा और इस मामले में और ज्यादा कानून का उल्लंघन हो सकता है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के बेजा इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए इसके तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी गई थी। इसके बाद कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर हो गया था। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सही तरीके से दलील पेश नहीं की। लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि सरकार की लापरवाही से कमजोर वर्ग की रक्षा का यह कानून करीब-करीब खत्म हो गया है।