देहरादून – रेलवे स्टेशन के बाहर एक रेस्टोरेंट में ग्राहक को जो चावल परोसा गया उससे प्लास्टिक की गेंद बन गई। सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से वॉयरल हो रहा ये वीडियो गंभीर सवाल उठा रहा है। जहां सवाल उठ रहा है कि क्या उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में भी जनता की जरूरत पूरा करने के लिए प्लास्टिक के चावलों की दरकार होने लगी है।
वहीं उम्रदराज दानिशमंद कह रहे हैं बासमति के खेतों में जब कंकरीट उगेगी तो प्लास्टिक के चावल ही आएंगे। जब पहाड़ से लेकर मैदान तक खेती-किसानी से नई नस्ल मुंह कतराएगी तो प्लास्टिक के चावल ही खाने पड़ेंगे।
हालांकि वीडियों की सत्यता की पुष्टि करने का दावा khabaruttarakhand.com नहीं करता लेकिन बात सोलह आने सच है कि अगर वाकई में चावल प्लास्टिक के हैं तो देवभूमि के मिजाज के मुताबिक बहुत गंभीर बात है। देश-प्रदेश में खान-पान का परीक्षण करने वाली संस्थाएं मोटी पगार लेकर क्या कर रही हैं?
कितनी गजब की बात है कि देश के पीएम और सूबे के सीएम लगातार भ्रष्टाचार को सहन न करने की बात कह रहे हैं। जबकि देश के बाजारों में प्लॉस्टिक का चावल जनता की सेहत से खिलवाड़ करने पर आमादा है। मुनाफे के लिए लोगों की सेहत से खेलने का अपराध तो आर्थिक भ्रष्टाचार से भी ज्यादा गंभीर भ्रष्ट आचरण हैं।
सवाल ये भी है कि क्या मुनाफाखोर इतने नीच हो गए हैं कि दौलत के लिए दुनिया को शमशान बनाना चाहते हैं।