गजब है ! उत्तराखंड की इस देवभूमि की धरती पर रहनुमाओं को भगवान से भी डर नहीं लगता। ईश्वर के नाम पर मिली दौलत की भी उनकी नजरों के सामनें बंदरबांट हो जाती है लेकिन उफ्फ तक नहीं करते और चुप्पी साध लेते हैं। राज्य में हर 12 साल में होनी वाली पवित्र नंदा राज जात यात्रा में भी ऐसा ही हुआ। एशिया की सबसे लंबी धार्मिक पैदल यात्रा व गढ़वाल-कुमाऊं की सांस्कृतिक विरासत श्री नंदा राजजात यात्रा में करीब पांच करोड़ रुपये का घपला सामने आया है। शासन ने यात्रा के लिए 25 करोड़ की धनराशि दी लेकिन डीएम चमोली को 20 करोड़ ही मिले। 5 कहां गायब हुए ये यक्ष प्रश्न बन कर रह गया है, क्योंकि अब कलियुग में तो युधिष्ठर पैदा नहीं होते जो हर सवाल का जवाब दे पांए।
धार्मिक यात्रा के लिए मिली रकम में घपला हुआ है इसका खुलासा सूचना के अधिकार में हुआ है। इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी की गई है। हल्द्वानी गौलापार के ग्राम बंसतपुर निवासी रवि शंकर जोशी ने मुख्य सचिव कार्यालय से आरटीआई में वर्ष 2014 में हुई नंदा राजजात यात्रा के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार से मिली धनराशि एवं यात्रा में हुए खर्च की गई धनराशि की जानकारी मांगी गई।
सूचना के तहत जानकारी मिली कि यात्रा के लिए राज्य एवं केंद्र से 2577.86 लाख की धनराशि मिली थी। जिसमें चमोली जिला प्रशासन नें 20 करोड़ 93 लाख 94 हजार 360 रुपये ही खर्च किए। बाकि 4 करोड़ 83 लाख 91 हजार 600 रुपये कहां हैं इसकी जानकारी शासन प्रशासन से नही दी गई। असल बात ये है कि अगर बची रकम किसी सरकारी कोष में है तो उसका ब्याज कौन ले रहा है और नही है तो फिर रकम कहां है ? सूचना के अधिकार के तहत इस बात की जानकारी भी मिली है कि जिला प्रशासन ने जो काम नंदा राजजात यात्रा के दौरान किए थे उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र भी राज्य सरकार को नही दिया गया है जबकि राज्य ने अपनी मशहूर धार्मिक यात्रा के आयोजन के लिए साल 2011 में 83 लाख32हजार रूपए, साल 2012 में 1200.00, 2012-330.28, जबकि साल 2013 में 2करोड़ 98 लाख 26 हजार रूपए और यात्रा साल 2014 के दौरान 1 करोड़ 86 लाख रूपए जारी किए थे।
तकरीबन 5 करोड़ का घपला हुआ है लेकिन कैसे हुआ किसने किया इस बात से किसी को कोई सरोकार नही है। हर सक्षम और जिम्मेदार शख्स के होंठ यूं चुप हैं मानों असली फेविकोल से गलती से चिपक गए हों। इस घपले के बाद दानिशमंद लोगों के जेहन में कई सवाल पैदा होनें लगे हैं कि जब जांच की बाद चमोली जिला प्रशासन कर चुका है तो जांच क्य़ों नही हो रही है ? जांच के आदेश जारी करने के लिए हाकिमों की कलम में स्याही खत्म हो गई है या ईमानदार इच्छाशक्ति की मौत। सवाल तो कई हैं लेकिन लगता है कि किसी का जवाब नही मिलेगा क्योंकि किसी ने 56 घोटले बताए तो किसी ने 400 से ज्यादा घोटालों की बात की । पिछले 16 सालों मे सत्ता के अर्श से फर्श तक इस राज्य में आओ घोटाला-घोटाला खेलें का खेल होता रहा लेकिन इस खेल का नतीजा कुछ नही निकला। शायद सत्ता के शीर्ष पुरूषों को पता है कि जनता चाह कर भी कुछ नही कर सकती क्योंकि राज्य में सत्ता की फ्रेंचाईजी दो ही दलों के पास है।