देहरादून- आबादी किसी भी बढ़े बेहिसाब इजाफा जी का जंजाल बन जाता है। बंदरों, सुअरों, नील गायों और हाथियों की बेहिसाब बढ़ती आबादी एक बड़ी आफत बन गई है। जंगल घट रहा है जबकि जानवरों की पैदावर मे इजाफा हो रहा है। आदमी जंगल की सरहद तक और जानवर इंसानी बस्तियों में दाखिल होने लगे हैं। नतीजतन आदमी और जानवर के बीच जंग बढ़ गई है।
इस मुसीबत से पार पाने के लिए सरकार ने फार्मूला तलाश लिया है। अब बंदर,हाथी,नील गाय और जंगली सुअरों को गर्भनिरोधक गोली खिलाने की तैयारी हो गई है। इतना ही नहीं इन जानवरों को गर्भ निरोधक गोलियों के साथ–साथ नसबंदी भी करवाई जाएगी ताकि जंगली जानवरों का कुनबा नियोजित रहे।
ऐसे में केंद्र सरकार ने चार जानवरों की आबादी नियंत्रित करने का फैसला किया है। इसके लिए सबसे पहले बंदर, सूअर, नील गाय और हाथी को चुना गया है। केंद्र ने इस संबंध में देहरादून स्थित भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्युआईआई) को तीन साल के लिए प्रोजेक्ट दिया है। इन जानवरों की आबादी गर्भ निरोधक गोलियों और नसबंदी से रोकी जाएगी। उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों ने अपनी रिपोर्ट केंद्र को भेजी है। इस पर केंद्र ने पहले चरण में आबादी पर अंकुश के लिए इन चार जानवरों को चुना है।
भारतीय वन्य जीव संस्थान को तीन साल के लिए पायलट प्रोजेक्ट दिया गया है। इस प्रोजेक्ट के लिए 10 करोड़ बजट आवंटित कर दिया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. वीबी माथुर ने बताया कि जानवरों की आबादी पर अंकुश लगाने के लिए इनकी प्रजनन क्षमता पर अंकुश लगाया जाएगा।
हर जानवर के लिए अलग तकनीक अपनाई जाएगी। कुछ को गर्भनिरोधक दवाएं दी जाएंगी और कुछ की नसबंदी होगी। इसके लिए प्रोजेक्ट में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ इम्युनोलॉजी को भी शामिल किया गया है। दवाओं की डोज का निर्धारण यह इंस्टीट्यूट करेगा। अल्ट्रासाउंड के लिए संस्थान में मशीन उपलब्ध हो गई है। पशुओं की गर्भ निरोधक दवाएं अभी यूरोप की कंपनियां बनाती हैं। भारतीय कंपनियों से दवाएं बनाने के लिए बात की जाएगी।