टिहरी को राजशाही की गुलामी से स्वतंत्र कराकर आजाद भारत में मिलाने वाले अमर शहीद श्रीदेव सुमन को भला कौन भूल सकता है. आज पूरा राज्य उनको याद कर आज का दिन 74वीं बलिदान दिवस के रुप में मना रहा है.
ग्रह आंदोलन में उन्हें 14 दिन की जेल में रखा गया
टिहरी गढ़वाल के जौल गांव में एक साधारण परिवार में श्रीदेव सुमन का जन्म 25 मई 1915 को हुआ था. ग्रह आंदोलन में उन्हें 14 दिन की जेल में रखा गया. साल 1942 में भारत छोड़ों आंदोलन में जेल गए थे. 1944 में टिहरी में बढ़ रहे राजशाही के अत्याचारों के विरोध में उन पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ और गिरफ्तार कर लिया गया था.
राजशाही के खिलाफ भूख हड़ताल, 84 दिन की भूख हड़ताल के बाद जेल में शरीर त्यागा
जेल में ही राजशाही के खिलाफ भूख हड़ताल की और 84 दिन की भूख हड़ताल के बाद 25 जुलाई को उन्होंने जेल में शरीर त्याग दिया. जेल कर्मचारियों द्वारा उनके पार्थिव शरीर को रात में ही भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम में फेंक दिया गया था.
1 अगस्त 1949 को टिहरी स्वतंत्र भारत में विलय हो गया, आज भी कराए जाते हैं बेड़ियों के दर्शन
श्रीदेव सुमन की शहादत के बाद टिहरी में राजशाही के खिलाफ आंदोलन और उग्र हो गए और 1 अगस्त 1949 को टिहरी स्वतंत्र भारत में विलय हो गया. श्रीदेव सुमन की शहादत दिवस के अवसर पर 25 जुलाई को आम जनता के लिए जिला कारागार को भ्रमण के लिए खोला जाता है और सुमन की बेड़ियों के दर्शन भी कराए जाते हैं. श्रीदेव सुमन की शहादत पर अब नई टिहरी में भव्य युद्ध स्मारक का 26 जुलाई को शिलान्यास किया जाएगा और सुमन के गांव जौल में संग्राहलय बनाया जाएगा.
टिहरी को राजशाही से मुक्त कराने और सभी को एक सामान अधिकार दिलाने वाले युवाओं के आदर्श अमर शहीद श्रीदेव सुमन के 74वीं शहादत दिवस पर उनको शत-शत नमन.