टिहरी,(घनसाली)– खूबसूरत पहाड़ों से पहाड़ियों ने नाता क्यों तोड़ लिया, जिस जन्मभूमि को कभी स्वर्ग से ज्यादा माना गया आज उन पहाड़ों और आबादी के बीच के रिश्तों की दरार और चौड़ी हो गई हैं।
पहाड़ों से हो रहे पलायन पर सरकार फिक्रमंद है इसे दिखाने के लिए सरकार ने पलायन आयोग बनाया है वहीं उन प्रवासियों से टिप्स पाने के लिए “रैबार” जैसा बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
जिन प्रवासियों ने अपनी काबिलयत के दम पर प्रसिद्धी पाई और संभवतया हमेशा-हमेशा के लिए वे शख्सियतें अब देश के महानगरों में अपना ठिकाना बना चुकी हैं। ऐसे में उनकी आने वाली पीढ़ी कष्टों के बोझ तले दबे अपने पुरखों के पहाड़ से मुहब्बत करेगी कहना मुश्किल है।
फिर भी बुलंदियों के शिखर पर बैठे वे महान लोग बदहाली में जी रहे सूबे के पहाड़ के लिए कितना संजीदा हैं इस पर अभी तक सूबे के आम पहाडियों को पता नहीं है। आम पहाड़पुत्र को तो यही पता है कि सत्रह साल पहले पहाड़ की खुशहाली के लिए उत्तराखंड राज्य बना था लेकिन ताजी हकीकत ये है कि पहाड़ों में न केवल सहूलियतों का टोटा है बल्कि अपने ही अपनो को छल रहे हैं।
निगरानी नाम की कोई चीज नहीं है लिहाजा उदास पहाड़ों में सिस्टम मस्त है। सिस्टम की इसी बेफिक्री का एक नमूना दिखाई देता है टिहरी जिले की घनसाली तहसील के बासर पट्टी के चानी गांव में। जहां सरकार ने आँगनबाड़ी केंद्र बनवाया लेकिन गांव ग्रामीणों का आरोप है कि मुखिया ने उसे अपना दफ्तर बना कर रख दिया है।
दफ्तर के आंगन में कही बजरी बिखरी है तो कहीं पत्थर। ऐसे में आंगनबाड़ी आने वाले मासूम बच्चे कहां बैठेंगे कहां खेलेंगे इसका किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति को ख्याल नहीं है। लिहाजा बच्चों के अभिभावक बच्चों को इस डर से आंगनबाड़ी केंद्र भेजते ही नहीं कि कहीं उनकी चोट न लग जाए। जबकि आंगनबाड़ी केंद्र सरकार ने उस दलित समुदाय के बच्चों के लिए बनाया है जिसकी सरकारी स्तर पर सबसे ज्यादा हिफाजत करने का दावा किया जाता है।
जाहिर सी बात है कि ऐसे बेतरतीब आगनबाड़ी केंद्र में कोई ग्रामीण अपने बच्चों को क्यों चोटिल होने के लिए भिजवाएगा। khabaruttarakhand.com ने जब गांव के प्रधान से इस बारे में बात करने के लिए समय मांगा तो प्रधान जी ने वक्त देने मे टालमटोल कर दी।
हालांकि कुछ ग्रामीणों ने गांव के दबगों पर दलितों के लिए बनाए गए आंगनबाड़ी केंद्र को हड़पने का आरोप भी लगाया। असलियत क्या है ये तो जांच का विषय है लेकिन तस्वीरें गवाह हैं कि जरूर कोई न कोई गंभीर बात जरूर है जिसे छुपाया जा रहा है।