देहरादून- राजकीय शिक्षक संगठन पर सरकार बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है, जी हां 21 जुलाई से राजकीय शिक्षक संगठन ने शिक्षा निदेशालय में हड़ताल शुरू की थी,जिसे शिक्षा मंत्री ने गंभीरता से लिया…कोर्ट के आदेश पर शिक्षकों ने हड़ताल जरूर खत्म कर दी थी लेकिन सरकार अब जाकर शिक्षकों के द्धारा की गई हड़ताल को लेकर एक्शन में आई है। दरअसल जिस दौरान शिक्षकों ने हड़ताल शुरू की थी, उस दौरान शिक्षा विभाग में हड़ताल को लेकर एस्मा लागू हुआ था…जिसका अब जाकर शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने संज्ञान लिया है। शिक्षा मंत्री ने एस्मा के दौरान हड़ताल के करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई के निर्देश शिक्षा निदेशक आरके कुंवर को दे दिए हैं।
बोर्ड परिक्षाओं को लेकर लगा था एस्मा
उत्तराखंड में हर साल बोर्ड परिक्षाओं के दौरान शिक्षा विभाग के कर्मचारी हड़ताल न करें इसके लिए शिक्षा सचिव राज्यपाल के आदेश पर विभाग में 6 महीने के लिए एस्मा लागू किया जाता है, ताकि शिक्षा विभाग में बोर्ड परिक्षाएं और मूल्याकंन के दौरान शिक्षक हड़ताल न कर पाएं। इस वर्ष हुई बोर्ड परिक्षाओं को देखते हुए शिक्षा सचिव की ओर से 25 जनवरी को शिक्षा विभाग में एस्मा लागू हुआ था,जिसके तहत विभाग में 25 जुलाई तक हड़ताल नहीं कर सकते थे, लेकिन 21 जुलाई से राजकीय शिक्षक संगठन ने हड़ताल शुरू कर दी थी,जिसे एस्मा का उल्लंघन माना गया है।
एस्मा का उल्लंघन गंभीर अपराध
एस्मा (आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम) कानून है जिसके लागू होने के बाद सरकार हड़ताल करने वाले कर्मचारियों पर किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होती है, एस्मा का उल्लंघन करने वाले कर्माचारियों की जहां बिना वांरट गिफ्तारी हो सकती है वहीं एस्मा का उल्लंघन करने पर सरकार कर्मचारियों को बर्खास्त भी कर सकती है।
नियम के तहत होगी कार्रवाई
वहीं शिक्षा निदेशक आरके कुंवर का कहना कि शिक्षा मंत्री ने जो निर्देश हैं उससे पहले वह एस्मा कानून का परीक्षण करेेंगे और जो भी कार्रवाई नियमों के तहत होगी वह हड़ताल करने वाले शिक्षकों पर करेंगे।
बहुत देर से आई याद
21 जुलाई से राजकीय शिक्षक संगठन ने शिक्षा निदेशालय में हड़ताल शुरू कर दी थी और हड़ताल खत्म करने के लिए सरकार ने कई कोशिशें की लेकिन शिक्षक नहीं माने और शिक्षकों ने हड़ताल जारी रखी. सरकार के खिलाफ शिक्षकों ने जहां हड़ताल जारी रखी हुई थी, वहीं कोर्ट की सख्ती के बाद संगठन ने हड़ताल खत्म कर दी थी…लेकिन सवाल इस बात का है शिक्षक संगठन को इसकी जानकारी नहीं थी कि वह एस्मा का उल्लघंन कर रहे है और थी तो संगठन ने 4 दिन का इंताजार क्यों नहीं किया.
वहीं शिक्षा मंत्री को भी देर से एस्मा की याद आई, नहीं तो एस्मा का उल्लंघन का पता शिक्षा मंत्री को पहले चल जाता तो हड़ताल के दौरान ही मंत्री शिक्षक संगठन को एस्मा के फेर में फंसा लेते….लेकिन देखना ये होगा कि एस्मा का उल्लंघन करने वाले शिक्षकों पर क्या कार्रवाई की जाती हैय