27 साल की उम्र में ही पहाड़ का लाल देश के लिए कुर्बान हो गया। लेकिन शहीद सूरज के परिवार जीवटता की मिसाल देनी होगी। एक बेटा देश की रक्षा के लिए शहीद हुआ तो क्या, परिवार में अभी बेटी है। अब बेटी को सेना के लिए तैयार किया जाएगा। जी हां ये कहना है शहीद सूरज के पिता का.
चार बहनों का अकेला भाई
शहीद सूरज की चार बहनें है। इनमें से तीन बहनों की शादी हो चुकी है और चौथी बहन स्नातक कर रही है। सूरज के पिता आर्मी से ही रिटायर्ड हैं और अब चाहते हैं कि उनकी बेटी देश की सेना में शामिल होकर परिवार का मान बढ़ाए। चार बहनों का अकेला भाई परिवार से चला गया, परिवार का इकलौता बेटा देश के लिए शहीद हो गया, लेकिन परिवार का हौसला कम नहीं हुआ। हर किसी को जीने की एक नई वजह दे रहा है ये परिवार। गर्व है इस परिवार पर।
पांपोर से सटे संबूरा में आतंकियों से मुठभेड़ में फलोटा गांव का जवान शहीद सूरज सिंह तोपाल। सूरज सिंह तोपाल के पिता नारायण सिंह तोपाल देश की सेना में थे। सूरज में अगर देशभक्ति की मिसाल जगी थी, तो अपने पिता की वजह से ही, वो संबूरा में 50 आरआर में तैनात थे। सूरज सिंह की तीन बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है।
सबसे छोटी बहन का नाम सोनी है और वो ग्रेजुएशन कर रही है। अब पिता का सपना ही है कि सबसे छोटी बेटी को देश की सेना के लिए तैयार कर बेटे का बदला आतंकियों से लिया जाए.और शायद कहीं न कहीं एक बहन की भी तमन्ना होगी कि अपने भाई की शहादत का बदला वो देश की सेना में शामिल होकर ले। नाज़ है ऐसे पिता पर, नाज़ है ऐसी बेटी पर और गर्व है ऐसे परिवार पर. जिंहोने अपना इकलौता बेटा खोने के बावजूद अपने आपको संभाला और बेटी के सेना में जाकर सेवा करने की बात कही.
उत्तराखंड गर्व की धरती है औऱ गर्व सेना की धरती है. उत्तराखंड ही एक ऐसी धरती है, जहां ऐसे वीर सपूत पैदा होते हैं। हमें गर्व अपनी देवभूमि पर जहां ऐसे वीर पैदा होते है जो अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं.
उत्तराखंड में हर परिवार में एक वीर सपूत पैदा होता, जो देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बलि देने में भी गुरेज नहीं करता। गर्व कीजिए इस धरती पर, जिसने सूरज सिंह तोपाल जैसा वीर सपूत दिया, जो 27 साल की उम्र में मातृभूमि के लिए कुर्बान हो गया. सूरज की ये शहादत आखिर देवभूमि कैसे भुला देगी, जो आखिरी सांस तक दुश्मनों से लड़ता रहा। वो शहीद हुआ लेकिन हिंदुस्तान के करोड़ों युवाओं को देशभक्ति का जज्बा दे गया।