दो नए राज्यसूचना आयुक्त के चयन को लेकर दो बैठकें हो चुकी है लेकिन कौन वो दो नाम होंगे जो राज्य सूचना आयुक्त बनेंगे इस पर सस्पेंस बना हुआ है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, नेता प्रतिपक्ष इंद्रा हृदयेश और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को ये तय करना है कि आखिर दो पदों कि लिए जो विज्ञप्ति निकली हुई है उस पर किसका चयन किया जाए। लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष की जो कमेटी राज्य सूचना आयुक्त के चयन को लेकर बनी हुई है उसमें दो नामों के चयन को लेकर आपसी सहमति तो बनती हुई नहीं नजर आ रही है यहीं वजह है कि अब तक हुई चयन समिति की बैठकों में नामों पर चर्चा के सिवाय कुछ नहीं हुआ है।
अजय सेतिया का नाम सबसे उपर
राज्य सूचना आयुक्त के चयन को लेकर अजय सेतिया का नाम सबसे उपर बाताया जा रहा है और इसके पीछे की वजह है कि बेजीपी हाईकमान का दबाव। जी हां, अजय सेतिया जो पत्रकार रहें हैं उन्होंने राज्य सूचना आयुक्त बनने के लिए बीजेपी हाईकमान से सिफारिश लगाकर अपना नाम रेस में सबसे आगे कर लिया है। सूत्रों की माने तो उनका नाम लगभग सूचना आयुक्त के लिए तय है अगर कोई बड़ी अड़चन न आई। हालांकि विपक्ष सेतिया को सूचना आयुक्त बनाए जाने की कीमत अपनी पसंद का दूसरा सूचना आयुक्त नियुक्त कराके वसूलेगा।
राजभवन से अजय सेतिया को पहले लगा है झटका
अजय सेतिया का नाम पहली बार राज्य सूचना आयुक्त के लिए नहीं रेस में नहीं है। पर्वू सीएम रमेश पोखरियाल जब सीएम थे तब भी अजय सेतिया का नाम संभावित राज्य सूचना आयुक्त की लिस्ट में था। इस समय अजय सेतिया को राज्य सूचना आयुक्त बनाने की फाईल राजभवन तक पहुंच गई थी लेकिन उस समय नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत के हस्ताक्षर नहीं थे इसी वजह से राजभवन से अजय सेतिया के नाम को राज्य सूचना आयुक्त की लिए खारिज कर दिया गया था। अजय सेतिया बीसी खंडूरी के मुख्यमंत्री रहते हुए भी राज्य सूचना आयुक्त बनाना चाहते थे लेकिन खंडूरी ने अजय सेतिया के नाम को हाईकमान की अप्रोच के बाद भी नजर अंदाज किया। लेकिन बीजेपी हाईकमान में अजय सेतिया की मजबूत पकड़ है यही वजह है कि जब राजभवन से अजय सेतिया को राज्य सूचना आयुक्त न बनाए जाने को लेकर झटका लग चुका था तब सेतिया ने खुद को बाल संरक्षण आयोग का अध्यक्ष बनवा लिया।
सेतिया के नाम पर विरोध
अजय सेतिया को अगर राज्य सूचना आयुक्त बनाया जाता है तो भाजपा के अंदर इस बात को लेकर विरोध भी देखने को मिल सकता क्योंकि कई नेता अभी से उनके नाम का विरोध करने लगे हैं। यहां तक कि कई नेता खुले तौर से कह रहें हैं कि सरकार को राज्य सूचना आयुक्त कि कुर्सी पर उत्तराखंडी को ही बैठाना चाहिए न कि किसी बाहरी को। गौरतलब है कि अजय सेतिया का उत्तराखंड से कोई नाता भी नहीं है।
मोटी सैलरी पाने पर है सेतिया की नजर
राज्य सूचना आयुक्त के पद पर यूं तो कई लोगों की नजरें हैं लेकिन मोटी सेलरी और सुख सुविधाएं पाने की चाह के रूप में कई लोग इस पद को पाने का ख्वाब देख रहे हैं और अजय सेतिया भी उन्हीं में से एक है। और उनकी ये चाह बाल संरक्षण आयोग में अध्यक्ष पद पर रहते हुए साफ देखी गई थी। जब पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ उनका विवाद पे स्केल को लेकर हो गया था जिसके बाद विजय बहुगुणा ने बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद के लिए पे स्केल खत्म करते हुए 5000 रूपये प्रतिमाह मानदेय का आदेश जारी किया था लेकिन अजय सेतिया बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद पर कार्यकाल पूरा होने तक उसी पे स्केल पर वेतन लेते रहे जिस को लेकर उनका विजय बहुगुणा के साथ विवाद भी हुआ था।
सेतिया के उपर हैं सबकी नजरें
अजय सेतिया राज्य सूचना आयुक्त बनेंगे या नहीं ये तो सरकार के उपर निर्भर करता है। लेकिन एक बात तो साफ है कि बीजेपी हाईकमान के वह जितने चहेते हैं उतने ही खराब रिश्ते उनके प्रदेश के बीजेपी के कई नेताओं के साथ हैं क्योंकि कई नेताओं को वो हाईकमान से सीधी पकड़ का एहसास करा चुके हैं। से