अन्नदाता सुअरों से जूझ रहा है
आलू,धान और मंडुवे की फसल पर हमला
किसानों ने की मुआवजे और खेतों की हिफाजात की मांग
पुरोला- राज्य में पहाड़ की खेती पर किसी की नजर लग गई है। पहले सूखे ने सेब की फसल को मारा ,फिर भारी बरसात ने भूस्खलन के जख्म दिए। नगदी फसल या तो खेतों में बर्बाद हुई या फिर खलिहानों और रास्तों में मंडी जाने की राह देखती रही। अब आलू की फसल से उम्मीद थी तो उसे जंगली सुअर अपना निवाला बना रहा है।
उत्तरकाशी जिले के दूरस्थ रामा सराई क्षेत्र में इन दिनो जंगली सुअरों का झंड उत्पात मचा रहा है। जंगलों के बीच बसे छह गांव में इन दिनों किसान बेचैन हैं। जंगली सुअर उनकी मेहनत पर पानी फेर रहे हैं जबकि जंगलात महकमा खामोश बैठा तमाशा देख रहा है। हालात ये हैं कि जंगली सुअरों के झुंड ने खेतों पर धावा बोल कर आलू, धान और मंडुवे की फसल चौपट कर के रख दी है।
इलाके के डोखरी, महरागांव, डिकाल गांव, कंताडी, गोठूका बिणाई और कुरूड़ा गांव में सुअरों ने एक पखवाड़े से तबाही मचा रखी है। बताया जा रहा है कि अभी तक जंगली सुअरों का झुंड तकरीबन 30 नाली से ज्यादा आलू, धान और मंडुवे की खड़ी फसल को बर्बाद कर चुके हैं। डोखरी गांव के काश्तकार हों या कुरूड़ा के या फिर कंताड़ी के सबकी रोजी रोटी का मुख्य जरिया आलू, धान और मंडुुवे की फसल है लेकिन उसे सुअरों ने बर्बाद कर दिया है। ऐसे में उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट आन खड़ा हुआ है।
हालांकि जंगली सुअरों के आतंक से त्रस्त आ चुके काश्तकारों ने जंगलात महकमें के शिकायत की है और फसल का उचित मुआवजा देने और खेतों में फसलों की सलामती के लिए तारबाड़ की मांग की है। गजब तो ये है कि टौंस पुरोला के रेंज अधिकारी को पता ही नही है कि 6 गांव के ग्रामीणों को सामने उनके सुअरों ने रोजी-रोटी का संकट पैदा कर दिया है। मुआवजे और तार-बाड़ का क्या होगा इस पर काश्तकारों को महकमे से कोई आश्वसन नहीं मिल रहा है। महज गश्ती दल बनाने की बात हो रही है वो भी ग्रामीणों के सहयोग से। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर खेत में किसान ही खुशहाल नहीं है तो राज्य में खुशहाली कैसे हो सकती है।