सतपुली: कल्जीखाल ब्लॉक के ग्राम पीपला गांव निवासी अंकुर रावत ने एक बार फिर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। अंकुर भारतीय सेना की आयुध कोर की उस छह सदस्यीय टीम का हिस्सा थे, जिसने पिंडारी ग्लेशियर व मिलम ग्लेशियर को जोड़ने वाले ट्रेल पास को पार करने में सफलता हासिल की। वर्ष 1830 से अब तक विश्व की 91 टीमों ने इस पास को पार करने का प्रयास किया, लेकिन अभी तक मात्र 15 टीमों को ही सफलता मिल पाई है।
गत वर्ष 19 मई को एवरेस्ट के शिखर पर देश का झंडा लहराने वाले ग्राम पीपला निवासी अंकुर रावत इस साल आठ अगस्त को सेना की आयुध कोर की छह सदस्यीय टीम के साथ सिकंदराबाद से गंतव्य के लिए रवाना हुए। धारचूला में दो हफ्ते की रॉक क्राफ्ट ट्रे¨नग के बाद चार सितंबर को यह टीम बागेश्वर से लोहारखेत, खाती, द्वाली होते हुए जीरो प्वाइंट ¨पडारी ग्लेशियर में पहुंची और बेस कैंप लगाया। उसके बाद टीम ने 850 फीट की रॉक वॉल को चढ़कर चार किमी लंबे ¨पडारी ग्लेशियर से होते हुए 19 सितंबर को ट्रेल पास पार किया। 22 सितंबर को दल ने मुनस्यारी में अभियान समाप्त किया।
अंकुर बताते हैं कि उनका मकसद युवा पीढ़ी को यह संदेश देने का है कि सफलता पाने के बाद विश्राम मत करो, बल्कि और पाने की ललक में लगातार आगे बढ़ते रहो।
मात्र डेढ़ लीटर पानी में काटे दो दिन
रॉक वॉल और ग्लेशियर में बर्फीले तूफान से लड़ने के दौरान टीम के छह सदस्यों को कई अन्य परेशानियां भी झेलनी पड़ी। रॉक वॉल के दौरान जहां मिट्टी तेल से भरी केन खाई में गिर गई। नतीजा, कैं