टिहरी, घनसाली(हर्षमणी उनियाल)- सूबे के हर गांव में हिमाचल की तर्ज पर पर्यटन विकसित करने की मंशा पाली राज्य सरकार को शायद ही खबर हो कि खूबसूरत फिजाओं वाले पहाड़ी गांव को जोड़ने वाली सड़कों की तस्वीर भी अगर पर्यटकों ने देख ली तो वे शायद ही सूबे के ग्रामीण पर्यटन में दिलचस्पी लें।
चार-चार साल से सड़के अधूरी पड़ी हुई हैं। ठेकेदारों के सियासी ताल्लुक हैं। लिहाजा जिम्मेदार महकमें भी चैन की बांसुरी बजा रहे हैं। परेशान हैं तो सिर्फ वो जनता जिसके लिए सड़क बनाई जा रही है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जब से शुरू हुई है तब से लेकर अब तक इस योजना के तहत राज्य सरकारों ने कई गांवों को सड़क से जोड़ने की कवायद की।
सड़क निर्माण के ठेके के बाद जिनकी निगरानी महकमें ने ठीक-ठाक की वे सड़के तो जनता के लिए सहूलियत बनी। लेकिन जिन सड़कों को महकमें ने रसूखमंद ठेकेदारों के भंरोसे छोड़ दिया वे सड़के कई साल गुजरने के बाद भी अपने अंजाम तक नहीं पहुंची।
ऐसी ही अभागी सड़कों में शामिल है घनसाली क्षेत्र में आने वाली पिलखी- द्वारी मोटर मार्ग । ये सड़क साल 2014 में शुरू हुई लेकिन आज तक उस सड़क ने चकाचक सड़क जैसी शक्ल हासिल नहीं की। लिहाजा स्थानीय जनता अाधी-अधूरी सड़क पर ही सफर कर धूल फांकने को मजबूर है। गजब तो ये है कि सड़क निर्माण शुरू करने की तारीख तो महकमे ने बोर्ड मे उकेरी है लेकिन सड़क कब सड़क बनेगी इसका कोई जिक्र नहीं है।
बताया जा रहा है कि सड़क बनाने की जिम्मेदारी राजीव कंडारी नाम के ठेकेदार ने ली थी। ठेकेदार का सियासी परिवारों से ताल्लुक है। लिहाजा माना जा रहा है प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की निगरानी करने वाला महकमा इस सड़क की सेहत खराब करने वाले ठेकेदार पर एक्शन लेने से बच रहा है। सच क्या है ये तो महकमा ही जाने ताजा हालात ये है कि ग्रामीण धूल के साए में सफर करने को मजबूर हैं। वैसे भी कहा गया है ‘देर से मिला न्याय भी अन्याय के समान है।’