नैनीताल : नैनीताल-हल्द्वानी में बीजीपी और कांग्रेस के बीच आइएसबीटी बस अड्डे के निर्माण में खींचतान सरकार के लिए परेशानी बन गया है। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने पूरे मामले की सुनवाई कर सरकार से तीन हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव बिष्ट ने बताया कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना है कि ये मुद्दा जनहित से जुड़ा है और गौलापार में बस अड्डा बनने से सरकार का ही पैसा बचेगा।
दरअसल, गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि गौलापार में ही बस अड्डा बनाया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि साल 2008-09 में आइएसबीटी बनाये जाने को लेकर अनुमति मिली थी। जिसके बाद 2015 में भूमि को वन विभाग ने परिवहन विभाग को हस्तानांतरित कर दी। 2015 के बाद इस स्थान पर 27 सौ हरे पेड़ों का कटान हुआ तो आठ हेक्टेयर भूमि से अन्य पौधों को हटाकर निर्माण शुरू कर दिया गया।
जमीन के प्रस्ताव पास होने के दौरान डीएम, डीएफओ, आरटीओ ने भी प्रमाणित रिपोर्ट दी कि हल्द्वानी में कहीं भी बस अड्डे के लिए भूमि उपलब्ध नहीं है। इसी लिए इस भूमि को बस स्टेशन के लिए हस्तानांतरित करनी पड़ी। जिसपर अब तक तीन करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुका है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि इसे यहां से शिफ्ट किया जाएगा। जिसका कोई आधार नहीं है।
हाईकोर्ट की खंडपीठ में हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार से पूरे मामले पर निर्देश मांगे हैं। कोर्ट ने पूछा है कि अबतक कितना खर्च हुआ है और क्यों बेवजह इस बस अड्डे को यहां से हटाया जा रहा है। मुख्य न्यायमूर्ति के एम जोसफ और न्यायमूर्ति शरद शर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद तीन हफ्तों में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए है।