ट्रेन के एसी कोचों में अब यात्रियों को गंदे कंबल मुहैया नहीं होंगे। एसी कोच के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले कंबलों को अब महीने में दो बार धोया जाएगा। पहले यह दो महीने में एक बार धोया जाता है। रेलवे ने कंबलों की गुणवत्ता में भी बदलाव किया है। साथ ही जो कंबल अब तक चार साल तक सर्विस के लिए मुहैया कराए जाते थे, अब बस दो सालों तक ही होंगे। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने पिछले साल यात्रियों को गंदा चादर, तकिया और कंबल देने पर रेलवे को फटकार लगाई थी।
बदले रंग-रूप के साथ नई कीमत
रेलवे बोर्ड ने जारी अपने निर्देशों में कहा कि एसी कोच में यात्रियों मिलने वाले कंबल साफ और ग्रीस से मुक्त होने चाहिए। नए कंबल ऊन और नाइलॉन मटीरियल से बने होंगे। इनकी कीमतें मौजूदा कंबलों की कीमत से दोगुनी होगी। हालांकि, अभी इसकी कीमत को लेकर फैसला नहीं किया गया है। उक्त जानकारी रेलवे मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने दी। पिछले 10 सालों में कंबलों की कीमत को नहीं बढ़ाया गया है।
शिकायतों ने किया भारतीय रेलवे को इस बदलाव के लिए मजबूर
गंदे कंबल को लेकर शिकायतों ने भारतीय रेलवे को इस बदलाव के लिए मजबूर कर दिया है। देश में अपने एसी पैसेंजरों के लिए रेलवे को प्रतिदिन करीब 3.90 लाख कंबलों की जरूरत है। एसी फर्स्ट पैसेंजरों द्वारा हर एक इस्तेमाल के बाद कंबल का कवर बदला जाता है, लेकिन यह सुविधा AC-II व III क्लास के यात्रियों के लिए नहीं है।
करीब 3.90 लाख सेट्स प्रति दिन उपलब्ध कराए जाते हैं
रेलवे द्वारा जारी आदेश के अनुसार गुणवत्ता में सुधार किए जाने के बाद इन कंबलों को महीने में दो बार धोना होगा। एक साल के बाद इस प्रक्रिया की समीक्षा की जाएगी. फिलहाल करीब 3.90 लाख सेट्स प्रति दिन उपलब्ध कराए जाते हैं। एक सेट में दो बेडशीट्स, एक टॉवेल और कंबल होता है जो एसी में एक यात्री को मिलता है। इसके लिए करीब 50 लांड्री कार्यरत है और 10 और जल्द ही खोले जाएंगे।