देहरादून: प्रदेश में इस समय भले ही आप ऑनलाइन टैक्सी घर बुला रहे हैं, लेकिन अभी तक परिवहन विभाग ने रेडियो टैक्सी के नाम पर इन्हें परमिट नहीं दिए हैं। अभी ये सभी वाहन कंपनियों के वाहन के नाम पर चल रहे हैं। इससे विभाग को राजस्व भी नहीं मिल पा रहा है। इसे देखते हुए अब परिवहन विभाग रेडियो टैक्सी को परमिट देने की तैयारी कर रहा है। यह मसला राज्य परिवहन प्राधिकरण की बैठक में लाए जाने की तैयारी है।
परिवहन विभाग ने बीते वर्ष एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें रेडियो टैक्सी को लेकर कुछ नियम तय किए गए थे। इसमें यह स्पष्ट किया गया था कि कोई भी व्यक्ति तब तक प्रदेश में रेडियो टैक्सी सेवा प्रदाता अथवा आइटी सर्विस प्रदाता के रूप में काम नहीं करेगा जब तक उसने इसके लिए अनुमति न ले ली हो। और इसके साथ ही वह बिना वैध परमिट के रेडियो टैक्सी के रूप में व्यवसाय नहीं करेगा।
इसके लिए बाकायदा आवेदन करने की पात्रता व मानक आदि तय किए गए थे। इसमें मोबाइल रेडियो रखने, इलेक्ट्रानिक फेयर मीटर लगाने, चालक व परिचालक के फोटो चस्पा किए जाने आदि शामिल हैं। हालांकि, एक वर्ष बाद भी विभाग की ओर से रेडियो टैक्सी के नाम पर कोई परमिट जारी नहीं हुआ है।
इसके पीछे कारण कुछ समय पहले हाईकोर्ट के एक निर्णय था। दरअसल, दिल्ली में एक टैक्सी में महिला के साथ हुई अभद्रता के बाद उत्तराखंड में परिवहन विभाग ने उक्त कंपनी की टैक्सी सेवा बंद कर दी थी। इस पर कंपनी ने खुद को दिल्ली की कंपनी होने का हवाला दिया था।
नतीजतन विभाग को बैकफुट पर आना पड़ा। प्रदेश में अभी भी ऐसी टैक्सी सेवाएं चल रही हैं जो फोन पर बुक होती हैं और दूरी के हिसाब से किराया लेती है। यह किराया जीपीएस सिस्टम के जरिये तय किया जाता है। एक तरह से ये भी रेडियो टैक्सी की श्रेणी मे हैं।
हालांकि प्रदेश में इनके पास लाइसेंस एक सामान्य टैक्सी के रूप में है। इन पर सीधे विभाग का नियंत्रण भी नहीं हैं। इन पर नियंत्रण रखने के लिए इन्हें लाइसेंस देने की तैयारी है। अपर परिवहन आयुक्त सुनीता सिंह ने कहा कि रेडियो टैक्सी को लाइसेंस देने पर विचार हो रहा है। जल्द ही यह मसला एसटीए के सामने लाया जा सकता है।