देहरादून- एक ओर जहा पूरा विश्व क्रिसमस की तैयारियों और सुलिब्रेशन में जुटा हुआ है तो वहीं देहरादून के सेंट फ्रांसिस चर्च में भी क्रिसमस की तैयारियां जोरों पर है और साथ ही यहां की कैदियों द्वारा बनाई गई पेटिंग बहुत कुछ बयां करती है…आज हम आपको बताएंगे क्रिसमस से जुड़ी बेहद रोचक और इतिहास को बतलाती एक ऐसी खबर जिसे पढ़कर आपको भी विश्वास हो जाेएगा कि कि यीशु की भक्ति में कैदी भी कलाकार बन सकते हैं..
आपको दिखाते हैं देहरादून के सेंट फ्रांसिस चर्च की कहानी जिसकी सारी पेंटिंग द्वितीय विश्वयुद्ध के कैदियों ने बनाई है.
सेंट फ्रांसिस चर्च का इतिहास
देहरादून में सेंट फ्रांसिस चर्च स्थित है जो उत्तराखंड के सबसे पुराने चर्च में से एक है सेंट फ्रांसिस चर्च की स्थापना अंग्रेजों ने सन 1856 में की थी। अंग्रेजों ने देहरादून, मसूरी ,नैनीताल, अल्मोड़ा और रानीखेत जैसे हिल स्टेशन पर काफी भवनों के निर्माण कराए। अपनी इंजीनियरिंग के लिए हमेशा से अंग्रेज जाने जाते रहे। देहरादून में सेंट फ्रांसिस चर्च इसकी एक बानगी है। 1856 में अंग्रेजों ने देहरादून में चर्च का निर्माण करवाया। लेकिन 1905 में आए एक बड़े भूकंप की वजह से चर्च का भवन पूरी तरह से ध्वस्त हो गया.
जिसके बाद साल 1910 में 17 अक्टूबर को एक नए चर्च की स्थापना की गई…द्वितीय विश्व युद्ध जो 1939 से 1945 तक चला उससे भी इस चर्च की कई यादें जुड़ी हुई हैं…जी हां आपको बता दें कि देहरादून के इसी सेंट फ्रांसिस चर्च में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बंदी इटालियन सैनिकों ने इस चर्च की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए काफी कार्य किया.
अंग्रेजों ने कैदियों को देहरादून के प्रेमनगर में रखा था
सेंट फ्रांसिस चर्च के कमेटी मेंबर मिस्टर जोसेफ डेविड बताते हैं कि कैदियों को अंग्रेजों ने देहरादून के प्रेमनगर में रखा था…जहां से वे इस चर्च के निर्माण कार्य में सहयोग देने के लिए लाए जाते थे …उन्ही में से कुछ कुशल कलाकारों ने चर्च की सारी वॉल पेंटिंग बनाई है…जो सेंट फ्रांसिस की जीवन पर आधारित है…जिसमें दिखाया गया है कि यीशु अहिंसा और दया को सबसे बड़ा धर्म मानते थे इटालियन कैदियों ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए दीवारों पर जो पेंटिंग उकेरी है. उसे देख कर लगता है मानो सेंट फ्रांसिस इस चर्च में आए लोगों से साक्षात मुखातिब है।
पूरी वॉल पेंटिंग बनाने में लगा 1 साल से ज्यादा का वक्त
देहरादून के सेंट फ्रांसिस चर्च की खूबसूरत दीवारों को देख कर लगता है कि जिन कैदियों ने अपनी कैद के दौरान इन पेंटिंग्स को बनाया होगा,…वह कितना यीशु की भक्ति में लीन हो गए होंगे। चर्च के वर्तमान फादर एडवर्ड बताते हैं कि चर्च की पूरी वॉल पेंटिंग बनाने में 1 साल से ज्यादा का वक्त लगा था…चर्च की सारी वॉल पेंटिंग हाथ से बनाई गई है जिसमें किसी भी मशीन का कोई प्रयोग नहीं किया गया है…बनाने वाले पेंटर इतने कुशल थे कि उन्होंने सेंट फ्रांसिस के पूरे जीवन को अपनी पेंटिंग के जरिए भविष्य के लोगों को बताने के लिए इन दीवारों पर उकेर दिया।
किसी भी संप्रदाय या धर्म के लोगों के आने पर रोक नहीं
एडवर्ड का कहना है कि हर साल क्रिसमस की तैयारियों में चर्च के सभी लोग जी जान से मेहनत करते हैं चर्च में किसी भी संप्रदाय या धर्म के आने पर रोक नहीं है यीशु का जन्म पूरे विश्व को शांति अहिंसा और दया का भाव सिखाता है
पेंटिंग्स पूरे इतिहास को खुद में बयां करती हैं
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान देहरादून में बंदी इटालियन कैदियों की पेंटिंग्स लोगों को आज भी इस चर्च के गौरवमय इतिहास के बारे में जानकारी देते हैं। इन पेंटिंग्स को देखकर किसी भी शख्स को चर्च के इतिहास के बारे में किसी से पूछने की जरूरत नहीं है यह पेंटिंग्स पूरे इतिहास को खुद में बयां करती हैं