मोहम्मद यासीन। सब कुछ ठीक-ठाक रहा और खेत में कम होती फसल से परेशान सूबे के किसानों ने जी.बी.पंत कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के शोध पर दिलचस्पी ली तो, आने वाले दिनों में बीज के साथ जीवाणु भी बोया जाएगा। ये जीवाणु खेतों में फसलों का सोना उगलवाएगा।
बेशुमार रसायनिक खाद और दवाओं से अपने खेतों की उत्पादकता को खत्म कर चुके किसानों के लिए पंतनगर के कृषि वैज्ञानिकों ने फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए एक अचूक फार्मूला तैयार किया है। इसके तहत वैज्ञानिकों ने खेत की मिट्टी से ही एक ऐसा वैक्टीरिया तैयार किया है जो किसानों को डराएगा नहीं बल्कि उनको खुश कर देगा।
मिट्टी से बने “वेरियो बोरेक्स” नाम के जीवाणु को बीज के साथ खेत में बोने पर खेत सोना उगलेगे। वैज्ञानिकों का दावा है कि ऐसा करने से फसल में 10 से बीस फीसदी का इजाफा होगा। इंडो- आस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट के तहत विकसित इस जीवाणु का वैज्ञानिक सफल प्रयोग कर चुके हैं। वैज्ञानिकों की मानी जाए तो जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए “वेरियो बोरेक्स” जीवाणु फसल उत्पादन में रामबाण साबित होगा।
दरअसल ऑर्गेनिक खेती में किसान सिर्फ कंपोस्ट खाद का इस्तमाल करते हैं ऐसे में “वेरियो बोरेक्स” का असर दमदार होता है। गजब की बात तो ये है कि 40 किलो बीज में सिर्फ एक पाव “वेरियो बोरेक्स” जीवाणु का इस्तमाल फसल में 20 फीसदी का इजाफा दे सकता है। इतना ही नहीं सूबे के पहाड़ी इलाकों के लिए ये तकनीक संजीवनी साबित होगी।
17 सालों से “वेरियो बोरेक्स” के शोध में जुटे वैज्ञानिक डॉ दिनेश चंद्र के माने तो ये जीवाणु न केवल खेत की उर्वरकता को बढ़ाता है बल्कि बारिश के रहमोकरम पर होने वाली खेती मे नमी बरकरार रखता है। ये जीवाणु ऐसे खेतों में हफ्तेभर से ज्यादा वक्त तक पौधे को सूखने से बचाए रखते हैं।
बहरहाल “वेरियो बोरेक्स” केंद्र सरकार के उस सपने को साकार कर सकता है जिसके तहत उत्तराखंड को ऑर्गेनिक स्टेट बनाने का ख्वाब रचा गया है। ऐसे में देखना ये है कि वैज्ञानिकों की ये मेहनत किसानो के खेत-खलिहानों में कब तक सोना बिखेरती है।