डेस्क – पिता के साए से वंचित उत्तराखंड के पंकज सेमवाल इस बार राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार मिलेगा। पंकज को गणतंत्र दिवस परेड में सम्मानित किया जाएगा। टिहरी के वीर बालक पंकज ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी मां को गुलदार के मुंह से छुड़वाया था।
इस सालके राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार हेतु उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद से 4 वीर-साहसी बच्चों के आवेदन भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली भेजे थे जिनमें कनिका (ऊधम सिंह नगर), पंकज सेमवाल (टिहरी गढ़वाल), ईश्वर सिंह (चमोली), अक्षय गुप्ता और युवराज चांवला (सयुंक्त) ऊधमसिंह नगर शामिल थे। भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली से अंतिम चयन के पश्चात पंकज सेमवाल को वीरता पुरस्कार 2०17-18 के लिए चयनित किया गया है।
पंकज की वीरता का किस्सा
पंकज सेमवाल पुत्र स्व. टीकाराम सेमवाल ग्राम नारगढ़ प्रतापनगर टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं। 10 जुलाई की रात पंकज सेमवाल अपनी माता विमला देवी और अपने भाई-बहन के साथ दूसरी मंजिल पर घर के बरामद में सो रहे थे।
रात के करीब एक बजे गुलदार ने घर के आंगन की सीढ़ियों से चढ़कर घात लगाकर अंधेरे में विमला देवी पर हमला कर दिया। गुलदार विमला देवी को सीढ़ियों से खींचना चाह रहा था, परन्तु विमला देवी ने शोर मचाना शुरू कर दिया। मां की चीख पुकार सुनकर बगल में सोए वीर बालक पंकज सेमवाल जाग गए।
पंकज ने बिना डरे पास में रखे डंडे से गुलदार पर ताबड़तोड़ वार करने शुरू कर दिए। पंकज के हाथों पिटा गुलदार गुर्राते एवं भाग निकाला। हालांकि विमला देवी को गुलदार घायल कर चुका था। उनका खून बह रहा था। दर्द के मारे वह कराह रहीं थी। आस पड़ोस एवं गांव के लोगों ने घायल विमला देवी को 15 किमी दूर पीएचसी नंदगांव पहुंचाया। जहां विमला देवी का इलाज हुआ।
वीर बालक पंकज सेमवाल ने जिस बहादुरी और साहस के साथ अपनी मां की जान बचाई। उस किस्से को सुनकर भारतीय बाल कल्याण परिषद ने पंकज सेमवाल को वीर बालक घोषित किया।