भगवानपुर – बसंत के मौसम में जब आम के बाग में अमराई महक रही है उस वक्त मंडावर गांव के एक आम के बगीचे में पेड़ों पर बेहिचक आरियां चल रही हैं। न लकड़ी के लिए हरे पेड़ों पर आरियां चलाने वाले डर रहे हैं न उद्यान महकमे के काबिल कारिंदों का दिल पसीज रहा है। बदस्तूर आम के पेड़ों का कत्ल जारी है।
ठेकेदार को पूछो तो उसका कहना है कि उसे पेड़ काटने की इजाजत मिली है जबकि स्थानीय प्रशासन से पूछा तो उसने उद्यान महकमें के पाले में ही इजाजत की गेंद सरका दी। मीडिया ने जब तहसीलदार साहब से पूछा कि बाग में फलदार पेड़ के वजूद को आरियों से मिटाया जा रहा है तो साहब को कोई वाजिब जवाब नहीं सूझता सिवा इसके कि ये उद्यान विभाग का मामला है।
गजब की बात है बाग मे हरे पेड़ों का कत्ल किया जा रहा है और जिम्मेदार प्रशासन मुआयना करने तक की जहमत नही उठा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ठेकेदार की बात में जरा भी सच्चाई है तो उद्यान महकमें के उन कारिंदों पर कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिए जिन्होंने फलदार हरे पेड़ों को कटवाने की इजाजत दे दी। कितनी अजीब बात है उम्र बीत जाती है पौधे को पेड़ बनने में, उन्हें तरस नहीं आता हरे पेड़ कटवाने में।