किच्छा- प्रदेश गठन के 17 वर्ष बाद भी पहाड़ों से लगातार पलायन हो रहा है. लेकिन अब सरकार पहाडों से हो रहे पलायन को लेकर भी चिंतित है. पलायन आयोग की रिपोर्ट के बाद कई गांव भूचिया हो गए तो किसी ने रोजगार, शिक्षा के लिए गांव से पलायन किया. एक के बाद एक गाँवो में लगातार युवा पीढ़ियों के पलायन को रोकने के लिए किच्छा के हल्दी क्षेत्र में बने जैवप्रौद्योगिकी विभाग के डॉक्टर इन दिनों पहाड़ो में आय के साधनों को बढ़ाने के लिए खोज कर रहे है।
वैज्ञानिकों द्वारा पहाड़ो के लिए विशेष प्रकार की कीवी की पौध की जा रही तैयार
पहाड़ों में हो रहे लगातार पलायन को देखते हुए अब सरकार के साथ-साथ भू वैज्ञानिक भी पहाड़ों से पलायन को रोकने के लिए चिंतित दिखाई दे रहे हैं. इस के लिए अब वैज्ञानिक भी तैयारियों में जुट गए हैं. किच्छा के हल्दी बायोटेक भवन में वैज्ञानिकों द्वारा पहाड़ो के लिए विशेष प्रकार की कीवी की पौध तैयार की जा रही है जिसकी खेती करने से पहाड़ों के किसानों को रोजगार तो मिलेगा ही साथ में कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाया जाएगा.
वैज्ञानिकों की मानें तो वो लोग ऐसी प्रजाति पर काम कर रहे हैं जिसे जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचा सकते साथ ही कम समय पर अधिक उत्पादन से अपनी आर्थिकी को मजबूत बना सकते हैं. वैज्ञानिकों की माने तो बेरीज वेरायटी के लिए पहाड़ों की भोगौलिक स्थिति ठीक रहती है, जिस कारण हम लोग इन्ही वेरायटी के पौधों को पहाड़ों के लिए तैयार कर रहे हैं ताकि पहाड़ो में ही रोजगार उपलब्ध हो पलायन पर रोक लग सके.
बाजार में 40 रुपये से लेकर ऑफ सीजन 100 रुपये पर पीस तक का बिकता है
वैज्ञानिकों की मानें तो कीवी एक ऐसा फल है जो बाजार में 40 रुपये से लेकर ऑफ सीजन में 100 रुपये पर पीस तक का बिकता है. यही नहीं किसान के आगे फसल खराब होने का डर भी नहीं होता है, इस के साथ-साथ अगर कीवी के दानों को तोड़ कर 10 से 15 दिनों तक बिना कोल्ड स्टोर के घर में ही स्टोर कर सकता है। यही नहीं एक नाली से किसान साल भर में 25 हजार रुपये से लेकर लाखों रुपये कीवी की फसल से कमा सकता है।
वैज्ञानिकों द्वारा न्यूजीलेंड की कीवी प्रजाति को लेकर हल्दी बायोटेक विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च किया जा रहा है. तुमरी, हवन ओर मूर्ति की कीवी की प्रजातियों की पोधो की खेप तैयार की जा रही है. अब तक हल्दी में तीन हजार से अधिक कीवी की पौधों को नर्सरी में तैयार किया जा चुका है.
20 सालों तक पौध को कोई बीमारी नही लग सकती
वैज्ञानिकों के अनुसार न्यूजीलेंड के इस प्लांट को बायोटेक लेब में टिशू कल्चर के माध्यम से तैयार कर एक स्वस्थ प्लांट तैयार किया जा रहा है, इस पौध की खासियत ये है कि 20 सालों तक पौध को कोई बीमारी नही लग सकती यही नहीं पौध रोपने के दूसरे साल से ही इन पौधों पर फल लगने से किसानों को इस का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन मिल सकता है जैसे जैसे पौधों की तनाये बढ़ेगी वैसे वैसे उत्पादन भी बढ़ेगा जिसकारण किसानों को अधिक से अधिक पैदावार कर किसान रोजगार के माध्यम से अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सकता है।
पहाड़ों में बढ़ते हुए पलायन को रोकने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा की जा रही पहल क्या वाकई में पहाड़ के लोगो के लिए वरदान साबित होगी या फिर सरकार द्वारा चलाई जा रही अन्य योजनाओं की तरह ये भी पहाड़ो में पहुचने से पहले ही दम तोड़ देगी।