ज्ञान प्रचारक संत श्री राजीव बिजल्वाण ने कहा कि गुरु को भारतीय संस्कृति में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। गुरु निर्गुण व निरंकार हैं तथा धरती पर परमात्मा के साकार स्वरूप हैं। उन्होंने गुरु की महिला का बखान करते हुए कहा कि कबीरदास ने गुरु को गोविंद से भी ऊंचा स्थान दिया है। उनके अनुसार यदि दरवाजे पर गुरु और गोविंद दोनों खड़े हों तो सबसे पहले गुरू ही प्रणाम करने योग्य हैं। क्योंकि गुरु ने ही उन्हें गोविंद के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने आगे कहा कि पूजा करने से पहले सच्चे गुरू की पहचान करना जरुरी है। भारतीय संस्कृति में गुरू को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। हम लोग सौभाग्यशाली हैं कि कि हमे सद्गुरू माता सविन्दर हरदेव जी महाराज के रूप में ज्ञान देने वाली विभूति का सानिध्य मिला है।
गुरू के चरणों से बड़ा कोई तीर्थ नहीं है।सच्चे गुरू के मार्गदर्शन से ज्ञान की रौशनी प्राप्त होती है।
इस भव्य सत्संग मे स्थानीय संगतों समेत , सेवादल के भाई बहिन एवम देहरादून से प्रचार टोली मे अनेक संत मौजूद थे।